Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 1
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
View full book text
________________
२४०
तत्त्वायचिन्तामणिः
-annaimantumwww.-.-mww..--
संयुक्त सति किन्न स्पारमादिभूतपाष्टथे।
चैतन्यस्य समुद्भूतिः सामध्या अपि भावतः ॥१२८ ॥
गृहस्पति मतवाले कहते हैं कि जैसे मदशक्तिके उत्पन्न करनेमें पिठीका पानी, गुढ महुआ आदि कारणोंकी पूर्णतारूप सामग्री कारण है । अकेही पिठीसे मदशक्तिवाला मय पैदा नहीं होता है। उसी प्रकार पृथ्वी, जल, तेज, वायु तथा इनके विशेष विशेष परिमाणमें होनेवाले परिणामरूप कारणकूटसे विज्ञान उत्पन्न होता है। एक एक करके कोई भी वायु या पृथ्वी उपादानकारण नहीं देखा जाता है, कारणोंकी समग्रता कार्यको करती है । अकेला कारण नहीं । ग्रंथकार कहते हैं कि यदि चार्वाक यह कहेंगे तब तो कसैंडी या भगौना दाल, भात पकाते समय पृथ्वी, अप्, तेज और वायु इन चारों मूतोंके मिश्रण होजाने पर धूल्हाके ऊपर कसैंडीमें चैतन्यकी बहिया उत्पत्ति क्यों नहीं हो जाती है। मताओ; चार्वाकोंके मतानुसार कारणसमुदायस्वरूप सामग्री भी यहां विधमान है । न्यायशास्त्रका कार्यकारणभाव पका होता है। कारणों के मिल जानेपर कार्य अवश्य हो जाना ही चाहिये।
तद्विशिष्टविवर्त्तस्यापायाच्चेत्स क इष्यते । भूतव्यक्त्यन्तरासंगः पिठिरादावीक्ष्यते ॥ १२९ ॥ कालपर्युषितत्त्वं चेपिष्टादिवदुपेयते । सत्किं तत्र न सम्भाव्यं येन नातिप्रसज्यते ॥ १३० ।।
यदि आप चार्वाक यह कहेंगे कि कसैंडीमें उन पृथ्वी आविकका अतिशयघारी विशिष्ट प्रकारका परिणाम नहीं है । अत: चैतन्य नहीं बनता है। ऐसा कहनेपर तो हम जैन आपसे पूंछते हैं कि वह अतिशयधारी परिणाम आपके यहां कौनसा माना गया है !
बताओ, यदि आप दूसरे दूसरे मूतव्यक्तियों के आकर मिलजानेको विशिष्ट पर्याय स्वीकार करेंगे तो यह विशिष्ट परिणाम तो कसैंडी भगोना आदि पाकमाण्डों में भी देखा जाता है। अतः यहां चैतन्य उत्पन्न होजाना चाहिये ।
तमा यदि पिठी, महुआ आदिकके समान कुछ समय तक सडना, गलनारूप विशिष्ट परिणाम मानोगे ऐसा स्वीकार करनेवर तो हम माईत पूछते हैं कि क्या यह परिणाम उन कसैंडी मादिमे सम्भावित नहीं है। जलेबीके लिये बोले हुए चूनके समान कसैंडी में भी देर तक पृथ्वी, जल आदिक भी वासे किये जाते हैं जिससे कि फिर क्यों नहीं वहां चैतन्यकी उत्पत्रिका अतिप्रसंग होगा। । अर्थात् चाहें कहीं भी भूतोंके दो, तीन दिनतक परे रहनेसे वासे हो जानेपर चाहे