Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 1
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्त्वावचिन्तामणिः
होनेपर निकृष्ट स्थानों में जन्म मरण कर दुःख भोगना या सकल दुःखोंके निदान उस सूक्ष्म स्थूल शरीरका संबंध हो जानारूप, संसारका हास होना भी सिद्ध हो जाता है । उतनेसे ही हेतु और साध्यके आधार हो जाने के कारण उन विषभक्षण आदिको दृष्टान्तपना प्रसिद्ध है । अतः वादी प्रतिवादियोंको कहे हुए निदर्शनमें कोई विवाद ही नहीं है । और प्रतिज्ञावाक्य में भी कोई झगडा नहीं रहा।
तदेवमनुमितानुमानान्मिथ्यादर्शनादिनिमित्तस्वं भवस्य सिध्यतीति न विपर्यय मात्र हेतुको विपर्ययापैराग्यहेतुको वा भनो विभाव्यते ।
उस कारण इस प्रकार अनुमित किये गये अनुमानसे संसारके कारण मिथ्यादर्शन आदिक ये तीन सिद्ध हो जाते हैं। भावार्थ-इस दूसरे अनुमानसे मिथ्यादर्शन आदिके क्षय होनेपर संसारका क्षीयमाणपनर सिद्ध किया गया है और इस दूसरे अनुमानसे जान लिये गये मिथ्यादर्शन आदिके क्षय होनेपर नीयमाणपना साध्यरूप हेतुसे संसाररूपी पक्षमें मिथ्यादर्शन, शान, चारित्र इन तीन हेतुओंकी कार्यता पहिले अनुमानसे कारिका द्वारा सिद्ध हो जाती है । इस प्रकार मिथ्याहगादि इस वार्तिकका प्रमेय सिद्ध हो जाता है | अतः केवल विपर्ययज्ञानको या विपर्यय और तृष्णा दोको हेतु मानकर उत्पन्न होनेवाला संसार है, यह नहीं विचारना चाहिये । किंतु संसारके कारण मिथ्यादर्शन आदि तीन है।
तद्विपक्षस्य निर्वाणकारणस्य त्रयात्मता। प्रसिद्धैवमतो युक्ता सूत्रकारोपदेशना ॥ १०६ ॥
जब संसारके कारण तीन सिद्ध हो गये तो उस संसारके प्रतिपक्षी होरहे मोक्षके कारणको भी तीन स्वरूपपना उक्त प्रकारसे प्रसिद्ध हो ही गया। इस कारण तत्वार्थसूत्रको रचनेवाले उमास्वामी महाराजका मोक्षके कारण तीनका उपदेश देना युक्तियोंसे भरा हुआ है।
मिध्यादर्शनादीनां भवहेतूनां त्रयाणां प्रमाणतः स्थितानां निचिः प्रतिपचभूतानि सम्यग्दर्शनादीनि त्रीण्यपेक्षते अन्यतमापाये तदनुपपत्तेः।
आचार्य विद्यानंद स्वामीजी अनुमान बनाते हैं कि संसारके कारण मिध्यादर्शन, ज्ञान, और चारित्र इन तीनकी प्रमाणोंसे स्थिति हो चुकी है । इन तीनोंकी निवृत्ति होना ( पक्ष ) अपनेसे प्रतिपक्षरूप तीन सम्पादर्शन, ज्ञान, चारित्रों की अपेक्षा करती है (साध्य ) क्योंकि तीन प्रतिपक्षियोमेसे किसी एकके भी न होनेपर वह मिथ्यादर्शन आदि तीनोंकी निवृत्ति होना न बन सकेगा (हेतु ) । इस अनुमानसे आदि सूत्रके प्रमेयको पुष्ट कर दिया है।
शक्तित्रयात्मकस्य वा भवतोरेकस्य विनिवर्तनं प्रतिपक्षभूतशक्तित्रयात्मकमेकमवरेण नोपपद्यत इति युक्ता सूत्रकारस्य त्रयात्मकमोक्षमार्गोपदेशना ।