Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 1
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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तत्वार्थचिन्तामणिः
I
समान आध अवस्थामें भी चेतनमय पिंडसे ही चेतन उत्पन्न हुआ माननेपर उपादेय उपादानके कार्यकारणभावका भंग नहीं होता है। बांस या पत्थर के रगडनेसे पथिककी पहिली आगकी उत्पत्तिसमान बिना आवरण के उत्पन्न होनेकी अदृष्टकल्पनाका भी प्रसंग नहीं है । क्योंकि मध्यकी अवस्था के समान आदिमें भी चेतन आत्मद्रव्यसे या सुख, चारित्र, सम्यषव आदि ज्ञानशरीरी जीवित पिण्डसे ही वैसा चैतन्य उत्पन्न होता है। बिना उपादान के चैतन्य पैदा नहीं होता है उस कारण से अब तक चेतन उपादानसे ही ऐसी चेतनाकी उत्पत्तिका निश्चय हो जानेसे चेतनाके शरीर, इन्द्रिय और विषय या अन्य सूक्ष्मभूत आदि उपादान कारण नहीं हैं यह सिद्ध हुआ । बांस तो पुद्गलद्रव्य है वहीं रगड़ खाजानेपर अभिपर्यायको धारण कर लेता है । वांसके जलनेपर मध्यमें भी तो वांस ही अभिस्वरूप परिणत हुआ है। वांसमें भीतर कोई अभि घुसी हुई नहीं है। दाद होनेपर सम्पूर्ण वांस आममय होजाता है।
तदेवं न शरीरादिभ्योऽभिव्यक्तिवदुत्पतिश्चैतन्यस्य घटते सर्वथा तेषां व्यञ्जकत्ववत्कारकत्वानुपपत्तेः ।
इस कारण इस प्रकार पूर्वोक्त युक्तियोंसे यह घटित कर दिया है कि शरीर, इंद्रिय आदिकोंसे चैतन्य के प्रगट होने के समान उनसे चैतन्यकी उत्पत्ति भी नहीं घटित होती है। क्योंकि उन शरीर, इंद्रिय और विषयोंको चैतन्यके अभिव्यञ्जकपने के सदृश सभी प्रकारोंसे कारकपना मी सिद्ध नहीं होता है । भर्थात् शरीर आदिक या सूक्ष्मभूत ये चैतन्यके व्यञ्जक अथवा कारक हेतु नहीं हो सकते हैं ।
एतेन देहचैतन्यभेदसाधनमिष्टकृत् ।
कार्यकारणभावेनेत्येतद्ध्वस्तं निबुद्धयताम् ॥१३५॥
आचार्य महाराजने मिनलक्षणपना हेतुसे चैतन्य और देहका भेद सिद्ध किया था । उस समय चाकने परिणामपरिणाम - भावसे अथवा कार्यकारण भावसे चैतन्य और देहका भेद हम भी मानते हैं इस प्रकार अचार्यों के ऊपर सिद्धसाधन दोष उठाया था किंतु इस उक्त प्रकरणके द्वारा यह कार्यकारण भावसे देह और चैतन्यका दृष्ट किया गया यार्वाकोंका भेद सिद्ध करना भी खण्डित कर दिया गया समझ लेना चाहिये ।
निरस्ते हि देवचैतन्ययोः कार्यकारणभावे व्यंग्यव्यञ्जकभावे च तेन तयोर्भेदसाधने सिद्धसाधनमित्येतन्निरस्तं भवति तच्चान्तरत्वेन तद्भेदस्य साध्यत्वात् । न च यद्यस्य कार्य ततततवान्तरमतिप्रसङ्गात् ।