Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 1
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri
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सत्वावचिन्तामणिः
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तादात्म्य सम्बन्धरूप समबायका अनित्यपना हम इष्ट करते हैं । आत्मामें घटज्ञान होनेपर घटज्ञानका समवाय उत्पन्न होता है | बादमें पटज्ञान होनेपर पहिले घटज्ञानका समवाय पर्यावरूपसे नष्ट हो जाता है और अबके पटज्ञानका समवाय कथंचित् उत्पन्न हो जाता है । इस प्रकार कचित् सादाम्य सम्बन्धरूप अनेक समवायोंमें उत्पादविनाशशालीपना जैनसिद्धान्तमे स्वीकार किया गया है समवायके अनित्य हो जानेसे हम आपके समान डरते नहीं है । म आत्मा, आकाश, परमाणु, मन आदि द्रव्योंको भी पर्यायार्थिक नयसे अनित्य मानते हैं। सभी पदार्थ उत्पाद, व्यय, भौव्यस्वरूप परिणतियां कहते हैं।
तथा आपका माना गया समवायसम्बन इस युक्तियों से भी सिद्ध नहीं होता है। सो और भी सुनिये।
अनाश्रयः कथं चायमाश्रयैर्युज्यतेऽअसा । तद्विशेषणता येन समवायस्य गम्यते ॥ ७२ ॥
आपने सम्बन्धको द्विष्ठ माना है । जो दूसरे सम्बन्धसे दो आदि अनुयोगी, प्रतियोगियों में रहे वह सम्बन्ध है । और आपने अन्य सम्बन्धसे विशेषण के विशेष्यमें रहनेपर ही उनका विशेष्य विशेषणभाव सम्बन्ध माना है ऐसा आप नैयायिकोंका मन्तव्य होनेपर यह आपका माना हुआ आश्रयमें नहीं ठहर रहा नित्य, एक, स्वतन्त्र, समवाय किसी अन्य सम्बन्धसे नहीं वर्तता संता विचारा आस्मा, ज्ञान, आदि आश्रयोंके साथ कैसे सीधा ही सम्बद्ध होजाता है बताओ। जिससे कि समवायसंगषकी उन समयायियोंमें विशेषणता मानी जावे क्योंकि दण्ड और पुरुषों विशेषणविशेष्यमा तब ही है जबकि संयोग सम्बन्धसे दण्ड पुरुषमै विद्यमान है। भूतरूम घटामाव स्वरूपसम्बन्धसे है । दूसरे सम्बन्धसे आश्रयमें सम्बद्ध हुए विना विशेषणविशेष्यमाव सम्बन्ध नहीं बनता है । जो विशेष्यको अपने रूपसे अबुरंजित करे वही विशेषण कहा जाता है। विशेषण यों विशेष्यमें प्रयमसे ही सम्बद्ध है।
येषामनाश्रयः समवाय इति मतं तेषामात्मज्ञानादिभिः कथं संवम्यते १ संयोगेनेति चेन । तस्याद्रव्यस्वेन संयोगानाश्रयस्वात् समवायेनेति चायुक्तम् । स्वयं समवायान्तरानिष्टेः
जिन नैयायिक, वैशेषिकोंके मप्तमें समवाय सम्बन्ध आश्रयसे रहित माना गया है उनके यहाँ प्रतियोगिता, अनुयोगिता सम्बन्धसे समवायवाले आत्मा, ज्ञान, और घट, रूप आविके साथ समाष किस तरहसे समषित होगा ! बसाओ। यदि आत्मा, ज्ञान आदिमे संयोगसम्बन्ध करके