Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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मार्गका नाम १. गतिमार्गणा २. इन्द्रियमाणा
३. काय मार्गणा
४. योगमार्गणा
५. वेदमार्गणा ६. कषायमार्गणा
७. ज्ञानमार्गणा
८. संयममार्गणा
६. वर्णन मागंणा १०. लेश्या मार्गणा
मेव संख्या
वार
पांच
११. भव्यमार्गणा १२. सम्यक्त्वमाणा
छह
तीन
तीन
चार
आठ
सात
स्वार
छह
दो
छह
दो
दो
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नाम
नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देव । एकेन्द्रिय, हीन्द्रिय श्रीन्द्रिय, ि
पृथ्वी, अप, तेज, वायु, वनस्पति, स
पद्म, शुक्ल ।
भव्य अभव्य
वेदक, क्षायिक,
मिश्र,
मिथ्यात्व संज्ञि असशि |
१३. संशिमार्गणा
१४. आहारमार्गणा
आहारक, अनाहारक ।
प्रश्न : मार्गणाओं के जो उत्तर भेद बताये हैं, उनमें ज्ञानमार्गणा के मतिज्ञान आदि पाँच ज्ञानों और मति अज्ञान आदि तीन अज्ञानों को मिलाकर कुल आठ भेद कहे हैं तथा संयममार्गणा के भेदों में सामायिक आदि भेवों के साथ संयम के प्रतिपक्षी असंयम
मन, वचन, काय
पुरुष, स्त्री, नपुंसक 1 क्रोध, मान, माया, लोभ
1
मति श्रुत, अवधि, मन:पर्यय, केवल, मतिअज्ञान, श्रुताज्ञान, अवधि-अज्ञान (विभंगज्ञान) | सामायिक, छेदोपस्थानीय, परिहारविशुद्धि,
सूक्ष्मसम्प
राय यथाख्यात, देश विरति, अविरति ।
चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल 1 कृष्ण
नील, कापोत, तेज,
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उपशम सासादन ।