Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 234
________________ तृतीय कर्मग्रन्थ : परिशिष्ट उक्त जानकारी के अनन्तर अभी तक मुद्रित ग्रन्थों के नाम, रचयिता, समय आदि का संक्षेप में के कर देना उचित होगा। इन ग्रंथों में श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों सम्प्रदायों के कर्मग्रन्थों का उल्लेख किया गया है www. कर्ता श्लोकप्रमाण रचनाकाल ३६००० २०६ ब्रम्मनाम महाकर्मप्रकृति प्राभूत अथवा कर्मप्राभूत ( पटखंडशास्त्र) धवला टीका कषायमाभूत जयबला टीका गोम्मटसार संकृत टोका संस्कृत टीका हिन्दी टीका पुष्पदन्त तथा f बीरसेन गुणधर वतिवृषभ वीरसेन तथा जिनसेन नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती केशवर्णी अभयचन्द्र टोडरमल धसार मिन्द्र : (क्षपणसारगर्भित ) सिद्धान्तचक्रवर्ती संस्कृत टीका हिन्दी टीका केशवर्णी टोडरमल्ल संग्रह (संस्कृत अमितगति संग्रह (प्राकृत) पंचसंग्रह (संस्कृत) श्रीपात ७२००० गा० २३६ ६००० — ६०००० गा० १७०५ गा० ६५० एलो. १४५६ गा० १३९४ ढलो. १२४३ अनुमानसः विक्रम की दूसरी-तीसरी पलादि लगभग वि० सं०६०५ अनुमानत: विक्रम की तीसरी शताि अनुमानत: विक्रम की छठी शताब्दि बिक्रम की नौनी araj earf विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दि विक्रम की १८ वीं शताि विक्रम की ग्यारहवी शतादि विक्रम की १६ वीं लाब्दि वि० सं० १०७ वि० ० १७ वीं शत

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