Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 251
________________ कोश २२३ अभिणाहार- अजिनाहारक-जिननामकर्म तथा हाहारक-द्विक रहित अजिन मणुआउ-अभिन मनुष्यायुक्-सीकर नामकर्म तथा मनुष्यामु अधिक अस्थि, हाडी अठवन्न ---अट्ठावन (५८) अट्ठारसय--- अष्टादशशत (११८) अयाणा-अट्ठावन (५८) अ... अष्ट--आर अश्यालय-एकसो असालीस (१४८) अस्वनअट्ठावन (५८) अबोस–अट्ठाईस (२८) अग...-अनन्तानुबन्धी कषाय अणएकसीस -- अनकर्षिशत-अनन्तानुबन्धी आदि ३१ प्रकृतियाँ अण धजलीस ... अनन्तानुबन्धी आदि २४ प्रकृतिमा । সর্থেী ~ গনণমিলি~~-নবাগী খাবি : সংবিধা अणाइज ... अनादेय नामकर्म अगाहार अनाहारक मार्गणा अनुपम्यो-मानुपूर्वी नामकर्म असिण - अनुष्ण (शीतल) अस्थागह... अर्यावग्रह अभिर-अस्थिर मामकर्म अमिर छक्क-अस्थिर, अशुभ, दुर्भय, दुःस्वर, अभाव, अपकीति, TE कर्म की छह प्रकृतियों

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