________________
२२८
गडहियम कंपटी
- गोत्र कर्म
चजना मौदानवें (२)
वही चार प्रकार का रोहत्तर (७४)
उहा— चार प्रकार का
BAALA
चक्षुवर्शन अथवा आँख
चरणमोह -- चारित्र मोहनीय कर्म
रिस मोहणिय चारित्र मोहनीय
FTTTYSAL
SAJJJAA
छपक छह (६) का समूह
2155
छद्धा.
छे-छह का क्षय होने से
छह प्रकार का
धनु (धन) - णवति छियानवे (१६)
VYBALL
छपन्न- छप्पन (५६)
छलंसि छटे भाग में
इस
छियासठ (६६)
छरछियत्तर (७६)
wwwww
छहा छह प्रकार का
छेत्र- छेदोपस्थानीय वास्त्रि
छेवट सेवा संहनन
जई - साधु
जज
लाख
तपाइ --प्रमत्तसंयत आदि गुणस्थान
***22099*..."
तृतीय कर्मप्रम्य: परिशिष्ट