Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 256
________________ २२८ गडहियम कंपटी - गोत्र कर्म चजना मौदानवें (२) वही चार प्रकार का रोहत्तर (७४) उहा— चार प्रकार का BAALA चक्षुवर्शन अथवा आँख चरणमोह -- चारित्र मोहनीय कर्म रिस मोहणिय चारित्र मोहनीय FTTTYSAL SAJJJAA छपक छह (६) का समूह 2155 छद्धा. छे-छह का क्षय होने से छह प्रकार का धनु (धन) - णवति छियानवे (१६) VYBALL छपन्न- छप्पन (५६) छलंसि छटे भाग में इस छियासठ (६६) छरछियत्तर (७६) wwwww छहा छह प्रकार का छेत्र- छेदोपस्थानीय वास्त्रि छेवट सेवा संहनन जई - साधु जज लाख तपाइ --प्रमत्तसंयत आदि गुणस्थान ***22099*..." तृतीय कर्मप्रम्य: परिशिष्ट

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