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शब्दकोश
बिगगड विहायोगति नामकर्म होने से
बेअ-वेदमोहनीय
बे-लिंग- स्त्री-पुरुष नपुंसक वेद
देय... वेदनीय कम
श्रेयण भोगना, अनुभव करना
defredदनीय कर्म
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संघपण संहनन नामकर्म : हड्डी की रचना
संधाय संघात श्रुतज्ञान; संघात नामक
संघायण -- संघात नामकर्म
संजल-संज्वलन काय
संजणगि संयजन श्रोध, मान, माया
संठाण संस्थान नामकर्म
संत सत्ता
संति---संज्ञी (मनवाला), संज्ञीमागंणा
संभ-अविरत मम्यष्टि गुणस्थान
सग—अपना
AAJJAN
सगवन्न — सत्तावन (५७)
सगसरि सतहत्तर (७७)
सगसह सतासी (८७)
स ठाणा – स्व-अपना गुणस्थान
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समकुमाराष्ट्र - सनत्कुमारादि देवलोक
सतगु - अपना शरीर
सतग -सात प्रकृतियों का समूह सर---- सत्रह (१७)
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