Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

Previous | Next

Page 266
________________ romedyosranAmAWAJ २० सृलोम कर्मधन्य परिशिष्ट सतस-सप्तदशाशत---एक सौ सत्रह (११५) सपज्जामियअन्तसहित सपडिय-विरोधी सहित समस–सामायिक चारित्र समयउर ... (समनद ..समचार सम्म-सम्याष्टि, सम्यक्रद मोहनीय समास-संक्षेप सरि सत्तर (७०) समो-सयोगिकेवली गुणस्थान सम्बविरई-सर्वविरति चारिस समल्ल-माया आदि शस्य सहित साहिथ-साहित साथ-सादि संस्थान साइय-आदि सहित सामान....निराकार साय-- सातावेदनीय (सुख) सापासाएगयर--साता असाता में से कोई एक सासण (सासाण)—सास्वादन गुणस्थान साहारण. साधारण नाम कर्म सिणिव-..स्निग्धस्पर्श नामकर्म सिय-सिस नामकर्म (सफेद, श्वेत) सोअ (सीय) जीतस्पर्श नामकर्म सुस्कारशुक्ललेश्या सुहागर-शुभ विहायोगति

Loading...

Page Navigation
1 ... 264 265 266 267