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. श्रीमद् देवेन्द्रसूरि विरचित २१५५
बन्धस्वामित्व नामक
कर्मग्रन्थ हितीय भाग [भूल, गत्यार्थ. विशेषार्थ, विवेचन एवं टिप्यण तथा अनेक परिशिष्ट थुत्स]
स्थाख्याकार
महधरकेसरी, प्रवर्तक मुनि श्री मिश्रीमल जी महाराज
सम्पादक
श्रीचन्द सुगना 'सरस'
देवकुमार जैन
प्रकाशक
श्री मरुधरकेसरी साहित्य प्रकाशन समिति
___ जोधपुर--थ्यावर