Book Title: Karmagrantha Part 3 Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti JodhpurPage 12
________________ ( १४ } क्षयोपशमिक सम्यक्त्व का बन्धस्वामिस्व arfe rate का स्वामित्व feerefore, traारिश्र, सूक्ष्मपराय चारित्र का सम्ध स्वाfica आहारक जीवों का बन्धस्यामि गाथा २० उपशम सम्यक्त्व की विशेषता गाय २१, २२ eerमागंणा हा अस्वस्वाभिस्य गाथा २३ भव्य, अभव्य, संशी, अशी मार्गणाओं et waterfere स्वामित्व अनाहाराणा का गाया २४ याओं में गुणस्थान ग्रन्थ की समाप्ति का संकेत परिशिष्ट ७८ ७८ • जैन कर्मसाहित्य का संक्षिप्त परिचय • कर्मग्रन्थ भाग १ से ३ तक की मूल गावायें ● संक्षिप्त शब्दकोष vK & पृ० १-६४ ८२ पृ० ६४-६५ ८४ पृ० ६५-६६ ६. ५ ६ ५० ६६- १०१ १६ १०१ पु० १०३-२३६ ● मार्गणाओं में उदय उदीरणा सत्तास्वामित्व १०५ ● मार्गेणाओं में बन्ध, उदय, सत्तास्यामित्व frees दिगम्बर १३० साहित्य का ध • वेताम्बर-दिसम्बर कर्मसाहित्य के समान असमान मन्तव्य ● मार्गणाओं में बन्धस्वामित्व प्रदर्शक यंत्र १५७ १६० १६३ २०६ ५२२Page Navigation
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