Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 10
________________ गामा ६,७ महालमप्रभा नरक का बन्धस्वामित्व स्वामित्व पर्याप्त तिर्यों का गांधा पर्याप्त तिर्यों का दूसरे से पाँचवें गुणस्थान तक का बन् स्वामित्व गान स्वामित्व पर्याप्त मनुष्य का अपर्याप्त तिर्यय, मनुष्य का बन्धस्वामित्व गाथा १० ( १२ ) देवगति व कपट्रिक का बन्यस्वामित्व भवन पतिभिक का स्वामित्व गाया ११ ereकुमार आदि कल्पों का बात कल्प से नववेक तक का afte अनुत्तर विमानवासी देवों का स्वामित्व एकोद्रिय, विकलत्रय तथा पृथ्वी, जल, वनस्पति काय का बम्ब tarfara माथा १३ गाथा १४ पंचेन्द्रिय fferent मन, वचन, औदारिका का स्वामित्व काय का स्वामित्व affa धृ० २१-२७ १२ २५ पृ० २७-३०. गाथा १२ एकेन्द्रिय आदि का सासादन गुणस्थान में बन्धस्वामित्व व मतान्तर aarfrefer काययोग का स्वामित्व * पृ० ३०-३५ as C ३४ पृ० ३५-३८ ३६ ૬૭ पृ० ३८-४२ ३६ ४ ४ ०४२-४६ ४३ पृ ०६-४६ ४७ 63 टु १० ४ - ५४ पू०

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