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तृतीय कर्मन्य: परिशिष्ट
ससस -- नामकर्म की तस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक, स्थिर, शुभ, सुभग, सुस्वर, आवेग, यशःकीर्ति मे १० प्रकृतियां ।
ति--तीन (३)
तिग-तीन का समूह
तिथिसक्षमा-मंत
तित --- तिक्त रस नामक
तित्व ( तिरथयर ) - तीर्थंकर नामकर्म
तिम्मि तीन
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सिम कलाम -- तीसरा कषाय- प्रत्याख्यानावरण कषाय
तिरि--तियंध
तिरियुग-सिध ठिक
सिरिमराज ( तिरियमराउ ) -- वियँव आयु तथा मनुष्य आयु
तिरियन
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सम-- तेजस्काय अथवा तेजोलेश्या
तेम ---तेजस शरीर
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यावरच उक्क-स्थावर सूक्ष्म अपर्याप्त साधारण, यह चार प्रकृतिय
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पावरक्स - स्थावर आदि दस प्रकृतियां
मिर- स्थिर नामकर्म
विरळक स्थिर आदि छह प्रकृतियां
श्री स्त्री
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योणतिग-स्त्यानत्रिक (प्रचला, प्रचलाप्रचला एवं स्त्यानदि
निद्रा के तीन भेद )
श्रीमती-स्थान नामक निद्रा विशेष
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