Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 258
________________ २३० तृतीय कर्मन्य: परिशिष्ट ससस -- नामकर्म की तस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक, स्थिर, शुभ, सुभग, सुस्वर, आवेग, यशःकीर्ति मे १० प्रकृतियां । ति--तीन (३) तिग-तीन का समूह तिथिसक्षमा-मंत तित --- तिक्त रस नामक तित्व ( तिरथयर ) - तीर्थंकर नामकर्म तिम्मि तीन MAMMYYYY सिम कलाम -- तीसरा कषाय- प्रत्याख्यानावरण कषाय तिरि--तियंध तिरियुग-सिध ठिक सिरिमराज ( तिरियमराउ ) -- वियँव आयु तथा मनुष्य आयु तिरियन MAAAA सम-- तेजस्काय अथवा तेजोलेश्या तेम ---तेजस शरीर ........ यावरच उक्क-स्थावर सूक्ष्म अपर्याप्त साधारण, यह चार प्रकृतिय P पावरक्स - स्थावर आदि दस प्रकृतियां मिर- स्थिर नामकर्म विरळक स्थिर आदि छह प्रकृतियां श्री स्त्री MAAY योणतिग-स्त्यानत्रिक (प्रचला, प्रचलाप्रचला एवं स्त्यानदि निद्रा के तीन भेद ) श्रीमती-स्थान नामक निद्रा विशेष ---------- . .....

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