Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 262
________________ UNAMAMATWwwgowwwwwwwwwwwwwwwww w wwwwwwwwwwwwwICILITVIC . UVJU anian v mewwwooomno तृतीय कर्मअप : परिशिष्ट फास स्पर्श नामकर्म बंध-बन्धतस्व, बंधप्रकरण बंधश-बन्धन नामक पत्न-विहान-बन्ध करना बनसय वर्तमान में बंधने वाला वायर--- रामकर्म ; गार' पायाल-बयालीस (४२) बिय (fa)... (२) शियाल सायं--एक सौ बयालीस (१४२) विसरि (बिसतरि) - विसप्तति-- बहत्तर (७२) बीम कथाम-दूसरा कापाय-अप्रत्याख्यानावरण काय भवण-भवनपतिदेव मंमल-मद्यपात्र माइ---मतिमान मह-सुअ- मति एवं श्रुतमान मकर बन्छ मर्कट के समान बन्छ मजामिनमध्याकृति बीप के संस्थान मण-मन, मनःपर्यायशान मनमाण-मनःपर्यायज्ञान मम अयोगमान-योग तथा वचनयोग मम् (म )--मनुष्य, मनुज महर- मधुर रस मामकर्म, मीठा माणसमान मिज-मृदुस्पर्म नामक ..: -...

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