Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 257
________________ : aa कोश अस--- यशः कीर्ति नामकर्म जाह-जाति नामकर्म जिस आत्मा जिण-पणग - जिन आदि पांच प्रकृतियां for- इनकार ( जिक्कार ) -- जिन आदि ग्यारह प्रकृतियां जिय-जीव सत्य जोय जीव जोब AAAAAAA -आत्मा शुभ ----युत - संहित ओइ ज्योतिषीदेव BAALA MAJJAL जोइस-चन्द्र, नक्षत्र आदि ज्योतिष्क मंडल जोग - संयम योगि सयोगि केवली ठिक स्थिति, स्थितिबन्ध मुवया उदय न होने से लाइसीसरे आदि भागों में तणु-मशरीर अथवा शरीर नामकर्म खणुतिग-- तीन मरीर सपनति-शरीर पर्याप्त लम्पिक्स - तमिव तद् मिश्र काययोग अमुक का मिश्र) तह वनस्पतिकाय तस-नस नामकर्स तसच - लस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक नामकर्म की चार प्रकृतियाँ vy ++ २२६ (अमुक काययोग के साथ

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