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aa कोश
अस--- यशः कीर्ति नामकर्म
जाह-जाति नामकर्म
जिस आत्मा
जिण-पणग - जिन आदि पांच प्रकृतियां
for- इनकार ( जिक्कार ) -- जिन आदि ग्यारह प्रकृतियां
जिय-जीव सत्य
जोय जीव
जोब
AAAAAAA
-आत्मा
शुभ ----युत - संहित
ओइ ज्योतिषीदेव
BAALA
MAJJAL
जोइस-चन्द्र, नक्षत्र आदि ज्योतिष्क मंडल
जोग - संयम
योगि सयोगि केवली
ठिक स्थिति, स्थितिबन्ध
मुवया उदय न होने से
लाइसीसरे आदि भागों में
तणु-मशरीर अथवा शरीर नामकर्म
खणुतिग-- तीन मरीर
सपनति-शरीर पर्याप्त
लम्पिक्स - तमिव तद् मिश्र काययोग अमुक का मिश्र)
तह वनस्पतिकाय
तस-नस नामकर्स
तसच - लस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक नामकर्म की चार प्रकृतियाँ
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(अमुक काययोग के साथ