Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 254
________________ २२६ उपर पेट www छाती, बक्षस्थल उरल-औदारिक-स्थूल, औदारिक कामयोग लग ओदारिकहि नामकर्म उरालंग दारिक शरीर उबंग – उपांग; अंगुली आदि शरीर के बंग उपधाय - उपघात नामकर्म, नाश उक्सम — औपशमिक सम्यक्त्व । उपशान्तमोह वीतराग उद्यस्य गुणस्थान उत्सास- उच्छ्वास नामक उपिकास उष्ण स्पर्श नामकर्म www ऊ जंघा ऊससणलद्धि--- श्वासोच्छ्वास की शक्ति ऊसासनाम-वास नामकर्म एगयर — किसी एक का ओरालऔदारिक शरीर नामकर्म औदारिक शरीर ओह ओघ - सामान्य ओहि अवधिदर्शन अवधिज्ञान FM ओहि अवधि-विक Fwww. तृतीय कर्मप्रग्य: परिशिष्ट FTY आहे. सामान्य रूप से कड कटुका रस नामकर्म कम्पग - कल्प- द्विक - १-२ देवलोक कम्म- (कम्मण ) कार्मण काययोग करण ---- इद्रिय कलाय - कषाय मोहनीय कर्म, कषायरस नामकर्म

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