Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 247
________________ तृतीय क्रर्मग्रन्थ की गाथाएँ बंधविहाणविमुक्क, वंदिय सिरिदद्धमाणजिणचर्द है गइयाईसु वुच्छ समासओ बंधसामित्तं जिण सुरविउवाहारदु देवान य नरयसुहमविगलतिम । एगिदि थावराज्यव नपु मिच्छ हुँड छेवट्ठ १२॥ अण मज्झागि संघयण कुखग निय इस्थि दुगथीणतिग। उज्जोयतिरि दुगं तिरि नराउ नर उरलदुरिसह ॥३॥ सुरइगुणबीसवज्ज हगसत आहेण अंधहि निरया। तित्थ विणा मिच्छि सय सासणि नपुचउ विणा छुनुइ ११४ विणु अणछबीस मीसे विसरि सम्मम्मि जिणराउ जुआ। इय रयणाइसु भंगो पंकाइसु तित्थ्यरहीणो ॥५॥ अजिणमणुमाउ ओहे सत्तमिए नरगच्च विणु मिले । इगनवई सासणे तिरिमाउ नपुसउवज ॥६॥ अपचउवीसविरहिया सनरदुगच्चा य सथरि मौसदुगे । सतरसउ ओहि मिल्छे पतिरिया विणु जिणाहारं ॥७॥ विणु नरयसोल सासणि सुराज अण एगलीस निणु मीसे । ससुराज सथरि सम्मे बीयकसाए विणा से l

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