Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 237
________________ कर्मग्रन्थ की मूल गाथाएँ प्रथम कर्मग्रन्थ की गाथाएँ सिरि वीर जिणं बंदिय, कम्मविवाम समासओ वुच्छं। कीरइ जिएण हेउहि, जेणं तो भष्णए कम्मं ॥१॥ पगइठिइरसपएसा तं चउहा मोयगस्स दिद्रुता । मूलपगइऽह उत्तरपगई अडवनसय भेयं २॥ इइ. नाणदसणावरणवेयमोहाउ नामगोयाणि । विग्धं च पणनवदुअट्ठवीसचउतिसयदुपणविहं ॥३॥ मइ-सुख-ओही-मण केवलाणि नाणाणि तत्थ मइनाणं । बंजणवामह चउहा मणनयविणिदिय चउक्का ॥४॥ अत्युग्गह ईहावायधारणा करणमाणसेहिं छहा । झ्य अदवीसभेयं चउदसहा वीसहा व सुर्य शा अक्सर सन्नी सम्म साइमं खलु सपज्जवसिय छ । गमियं अंगपविढे सत्तवि एए सपडिवक्ता ॥६॥ पज्जय अक्सर पय संघाया पटियत्ति तह य अणुओगो । पाहुडपालुङ पाहुडवत्थू पुव्वा य स-समासा ।।७।।

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