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माकों में स्वामित्व प्रदर्शक यन्त्र
तिगत पर्याप्त सिध का अन्ध-स्वामित्व
सामान्य बन्धयोग्य ११७ प्रकृतियाँ
आदि के पि
गुणस्थान तीर्थंकर नामकर्म, आहारक शरीर, माहारक अंगोपांग विहीन ११७
गु= क्र० बन्धयोग्य
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अखन्न
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पुनः यन्
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देवायु
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बन्ध-विच्छेद
१६४:
नरकगति ( ६ ) से सेवा संहनन (२४) तक १६
अनन्तानुबन्धी क्रोध (२५) से वज्रऋषभनाराच संहनन (५५) तक ३१
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ान ध, मान, माया, लोभ४
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