Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 217
________________ मागणाओं में स्वामित्व प्रदर्शक यात्र लेखोलेश्या का बन्धस्वामिस्थ सामान्य बन्धयोग्य १११ प्रकृतियाँ गुणास्थान-- आदि के सात मरकनयक-नरकगति, नरकानुपूर्वी, मरकाधु, सक्षम, साधारण, अपर्याप्स, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय विहान १११ गुरुक बन्ध योग्य अबन्ध पुनः बन्ध । बन्ध-विच्छेद तीर्थकरनाम, आहार द्विक मिथ्यात्म,ढुंबसंस्थान, नपुंसक वेद, सेवा संह०, एकेन्द्रिय, : स्थायर, आसप बच्चाधिकार के समान ये व मनुष्य आयु अन्धाशिकार के समान १० सार्थकरनाम, देव व मनुष्यायु: बधाधिकार के समान ४ बन्धाधिकार के समान ५६५८ आहारकादिक mami

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