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सामान्य बन्धयोग्य १०३ प्रकृतियाँ
गुणस्थान आदि के बार
तीर्थंकर नामकर्म ( १ ) से चतुरिन्द्रिय जाति (१७) तक १७ प्रकृतियों से
विहीन १०३
गु०क० ] बन्ध योग्य
१
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ど
water, व्यस्तर और ज्योतिषी देवों का स्वाfre
१०३
१
है ६
10
७१
अबन्ध
मनुष्यायु X
सामान्य अन्धयोग्य १०५ प्रकृतियाँ
올액
पुनः बन्ध
अबन्ध
X
X
X
१
मनुष्यायु
तृतीय कire: परिशिष्ट
तेकाय, वायुकाय (गति) का स्थानि
पुनः बन्ध
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LEVET MANA
बन्ध-विच्छेद
ayer वेद, मिथ्यात्व, इंट संतन, एकेन्द्रिय, स्थावर, आतप
तीर्थकर नामक ( १ ) से नरकाधु ( ११ ) तक ११ तथा मनुष्यमति मनुष्यानुपूर्वी, मनुष्यायु, उप गोत्र ये चार कुल १५ प्रकृतियों से विहीन १०५.
गु०क्र० बन्ध योग्य
अनन्ता० क्रोध (२५) से तिर्यचाधु (४६) तक २५
X
गुणस्थान -- एक (मिध्यात्व)
LITTED
अन्ध-विच्छेद
X