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१८०
५
सामान्य बन्धयोग्य १२०
गुणस्थान ---- १४ गुणस्थान
ज्ञानावरण आदि अष्टकमों की बन्धाधिकार में बताई गई १२० प्रकृतियाँ
मु०० बन्धयोग्य
*
२
११७
१०१
७४
७७
६
६३
परिय, काय, भव्य, संशो का अस्वामित्व
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३
तीर्थंकर आहा शरीर
आहा
०बंगो०
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बन्छ
देव व मनुष्य
आयु
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X
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X
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पुनः बन्ध
तीर्थंकर नाम, येव
मनुष्यायु
तृतीय कर्मग्रन्थ : परिशिष्ट
X
बन्ध-विच्छेद
४
बन्धाधिकार के अनुसार
१६
ratfधकार के अनुसार
२५
वाधिकार के अनुसार
बन्धाधिकार के समान
| बन्धाधिकार के समान ! ६/७