Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 192
________________ WIROMoleel199999 9 99णणारएसएसपएशIIMMMMMMMMMMUMIIILIL तृतीय कर्मप्रन्ध : परिशिष्ट महातमःप्रमा मरक का बन्ध-स्वामित्व सामान्य बन्ध्योग्य ६६ प्रतियां गुणस्थान --आदि के चार तीर्थकर नामकर्म (१) से आतप नामकर्म (२०) सथा मनुष्यायु विहीन बन्धयोग्य अबन्ध पुन: बन्छ बन्ध-विच्छेद नपुंसकोंद, मिथ्यात्व, हुंडसंस्थाम, सेवास संहनन तिर्यंचायु-५ । उच्चगोष मनुष्यगास मनुष्यानुपूर्वी अनन्तानु० क्रोध (२५) से लेकर लियंचानुपूर्वी (१८) तक ०.२४ ७० उच्चमोत्र मनुष्यगति मनुष्यानुपूर्वी AM

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