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Pawwana
सृतीय कमनन्ध : परिशिष्ट बेद मार्गणा से लेकर आहारक मार्गणा पर्यन्त अपने-अपने गुणस्थानवत् सामान्य सत्त्व समझना चाहिए, किन्तु इतनी विशेषता है कि नपुसकबेव' और स्त्रीय अपक श्रेणी वाले के तीर्थङ्कर प्रकृति की सत्ता नहीं है। इसी प्रकार कृष्ण व नोल इन दो लेण्या वाले मिथ्यादृष्टि को और पीतादि तीन शुभ लेश्या पाले मियादृष्टि के भी तीर्थकर प्रकृति का सत्त्व नहीं है। ___ अभय जीवों के नीकर, मम्यव, मधमोदनीय तया आहारक चतुष्क (आहारक शरीर, आहारक अंगोपांग, आहारक बन्धन, आहारक संघात) इन सात प्रकृतियों का सत्व नहीं है । असंज्ञी जीव के तीर्थ र प्रकृति की सत्ता नहीं है।
अनाहारक मार्गणा में कामण काययोगवत् प्रकृतियों का माव समझना चाहिए।