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मागंगाओं में उदय उदीरणा-सा स्वामित्व
मिथ्यात्थ यहाँ सामान्य से और मिथ्यात्व गुणस्थान में १४८ प्रकृतियाँ सत्ता में होती हैं ।
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संज्ञी - पहले से लेकर तेरहवें गुणस्थान तक मनुष्यगति के समान सत्तास्वामित्व जानना चाहिए। इसमें केवलज्ञानी को ब्रव्यमन के सम्बन्ध से संजी कहा है । यदि भावमन की अपेक्षा रखी जाय तो संसी मार्गणा में बारह गुणस्थान होते हैं ।
असंती - यहाँ सामान्य से और मिथ्यात्व गुणस्थान में जिननाम के सिवाय १४७ प्रकृतियों की सत्ता होती है और सास्वादन गुणस्थान में नरकायु के सिवाय १४६ प्रकृतियों की सत्ता होती है, परन्तु यहाँ अपर्याप्तावस्था में देवायु और मनुष्यायु का ध करने वाला कोई संभव नहीं है, इसलिए उस अपेक्षा से १४४ प्रकृतियों की सत्ता होती है ।
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आहारक - पहले से लेकर तेरहवें पुणस्थान तक मनुष्यमति मार्गमा के समान सत्तास्वामित्व जानना चाहिए।
अनाहारक- इस मार्गणा में पहला, दूसरा, चौथा ये पांच गुणस्यान होते हैं और उनमें मनुष्यगति के
चाहिए ।
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इस प्रकार उदय, उदीरणा और सतास्वामित्व का विवेचन पूर्ण हुआ । विशेष
तेरहवां और चौदहवाँ
समान ससा जानना
अपनी निकटतम जानकारी के अनुसार मागंणाओं में उदय उदीरणा एवं ससा स्वामित्व का विवरण प्रस्तुत किया है। संभवतः कोई त्रुटि या अस्पष्टता रह गई हो तो विज्ञ पाठकों से सानुरोध निवेदन है कि संशोधन कर सूचित करने की कृपा करें जिससे अपनी धारणा च त्रुटि का परिमार्जन कर सकें । उनके सहकार एवं मार्गदर्शन के लिये आभारी रहेंगे |
सम्पादक