Book Title: Karmagrantha Part 3
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
View full book text
________________
तृतीय कर्म ग्रन्थ
इस ग्रन्थ में मार्गणाओं को लेकर जीवों के बन्धस्वामित्व का कथन सार रूप से पायान को लेकर विशेष सम से किया गया है। इसलिए इस प्रकरण को स्पष्ट रूप से समझने के लिए दूसरे कर्मग्रन्थ का अध्ययन कर लेना जरूरी है। क्योंकि दूसरे कर्मग्रन्थ में गुणस्थानों को लेकर प्रकृतिबन्ध का विचार किया गया है जो इस प्रकरण में भी आता है कि अमुक मार्गणा का बन्धस्वामित्व बन्धा. धिकार के समान है।
इस प्रकरण का नाम बक्षस्वामिम रखने का कारण यह है कि इसमें मार्गणाओं के द्वारा जीवों को प्रकृतिबन्ध सम्बन्धी योग्यता के बन्धस्वामित्व का विचार किया गया है। __इस प्रकार श्री देवेन्द्रसूरि विरचित बन्धस्वामिस्ट नामक यह तीसरा कर्मग्रन्थ समाप्त हुआ।
बन्धस्वामित्व नामक तृतीय कर्मग्रंथ समाप्त।