Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.६१ सुधर्मासभायाः वर्णनम्
__ २०१ उम्पि' तासां खलु मणिपीठिकानामग्रभागे, ‘पत्तेयं पत्तेय'-चेइयरुक्खा पन्नत्ता' प्रत्येकं प्रत्येकं चैत्यवृक्षाः ज्ञानप्रयोजना वृक्षाः यमासाद्य ज्ञानं विवर्धते निर्मल च भवति तथाभूतास्तेवृक्षाः प्रज्ञप्ताः-ख्यातिं गता लोके । 'तेणं चेइयरुक्खा' ते खलु चैत्यवृक्षाः 'अट्ठ जोयणाई उडूं उच्चत्तेणं' अष्टौ योजनानि ऊर्ध्वमुच्चत्वेन, 'अद्धयोजणं उव्वेहेणं' अर्द्धयोजनं यावदुद्वेधेन दिगन्तराले चतुर्दिक्षु विस्तृत्या, 'दो जोयणाई खंघी' द्वे योजने स्कन्धाः, 'अद्ध जोयणं विक्खंभेण' अर्द्धयोजनं विष्कम्भवृत्त्या, 'छ जोयणाई विडिमा' षड्योजनानि विडिमा यावद्वहुमध्यदेशभागे ऊर्ध्व विनिर्गता शाखा सा विडिमा सा च षड़योजनानि ऊर्ध्वमुच्चैस्त्वेन, 'बहुमज्झदेसभाए अट्ठ अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं' बहुमध्यदेशभागेऽष्ट योजनानि-आयामविष्कम्भाभ्याम् दैर्घ्य विस्ताराभ्यां अर्द्धयोजनं विष्कम्भेण, सहित है प्रासादीय है दर्शनीय हैं और अभिरूप है। 'तासि णं मणिपेढियाणं उप्पि' उन मणिपीठिकाओं के अग्रभाग में 'पत्तयं २' अट्ठ जोयणाई उडूं उच्चत्तेणं' ये चैत्यवृक्ष ऊंचाई में आठ योजन के कहे गये है। 'अद्धजोयणं उन्हे णं' और उद्धेध की अपेक्षा ये आधे योजन के-दो कोश के कहे गये हैं। चारों दिशाओं में जो इसका फैलाव है वह यहां उद्वेध शब्द से प्रकट किया गया है 'दो जोयणाई कंधे दो योजन तक इनके स्कन्ध विस्तृत है । 'अद्धजोयणं विक्खंभेणं' आधे योजनका वह स्कन्ध मोटा है 'छ जोयणाइंविडिमा' छ योजन की इसकी शाखाएं है जो शाखाएं वृक्ष के ठीक-बीच में से निकलती हुई ऊंची जाती है। उनका नाम विडिमा है। 'बहमज्झदेसभाए अट्टजोयणाई आयामविखंभेणं' बीच में इस विडिमा की लम्बाई चौडाई आठ युश्त छ. शनीय छ भने मनि३५ छ. 'तासिणं मणिपेढियाणं उपि' से मणिपाठसानी ५२न। म पत्तेयं पत्तेय” २५ मा 'चेहयाक्खा पन्नत्ता' चैत्य वृक्ष छे. 'तेणं चेइयरुक्खा अट्ट जोयणाई उड्ढे उच्चत्तेणं' से चैत्य वृक्ष मा योगननी या छे. 'अद्ध जोयणं उव्वेहेणं' मने द्वेधनी અપેક્ષાએ એ અર્ધા એજનના અર્થાત્ બે કોસના કહેલ છે. ચારે દિશાઓમાં જે तना सा छे. तेने मडिया द्वेष श५४थी याम मावस छ. 'दो जोयणाई कंधे से योन पन्त तेन २४-जीयोनी विस्तार छे. 'अद्धजोयणं विक्खंभेणं' अर्धा योनिन ते २४ घना विस्ता२ छ. 'छ जोयणाई विडिमा' छ જનની તેની શાખાઓ છે. જે શાખાઓ વૃક્ષના બાબર વચમાંથી નીકળીને ये तय छे. ते माने विमा वाम मावे छे. 'बहुमज्झदेसभाए अद्र जोयणाई आयामविक्ख भेणं' से पानी ens पा 248 योगननी छ.
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જીવાભિગમસૂત્ર