Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 1536
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.१० सू.१५३ जीवानां नवविधत्वनिरूपणम् १५२३ नेरइयस्स णं भंते !०, जहन्नेणं दसवाससहस्साई समऊणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइ समऊणाई' अप्रथमसमयनैययिकस्य खलु भदन्त ! • गौतम ! जघन्येन दशवर्षसहस्राणि समयोनानि प्रथमसमयेन हीनानि दशवर्षसहस्राणि जघन्या स्थितिः । एकसमयहीनता च प्रथमसमयेन ज्ञातव्या एवं सर्वत्रापि ज्ञेयानि । उत्कर्षेण त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमाणि समयोनानि । 'पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स ण भंते !० एकं समयं प्रथमसमयतिर्यग्योनिकस्य खलु भदन्त १०, भगवानाहगौतम ! एकं समयम् । 'अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स० णं भंते !०, जहन्नेणं अप्रथम समयवर्ती नैरयिक की कायस्थिति कितने काल तक की होती है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'जहन्नेणं दसवाससहस्साई समऊणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं समऊणाई' हे गौतम ! अप्रथम समयवर्ती जो नैरयिक है उनकी कायस्थिति कम से कम तो एक समय हीन १० हजार वर्ष तक की होती है और अधिक से अधिक एक समय हीन तेतीस सागरोपम तक की होती है । इसी प्रकार से सर्वत्र समझना चाहिये 'पढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते !' हे भदन्त ! प्रथम समयवर्ती तिर्यग्योनिक जीवों की कायस्थिति कितनी होती है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! प्रथम समयवर्ती तिर्यग्योनिक जीव की कायस्थिति 'एक्कं समयं' एक समय की होती है 'अपढम समय तिरिक्खजोणियस्स भंते !' हे भदन्त ! अप्रथम समयवर्ती तिर्यग्योनिक जीव की कायस्थिति कितनी होती है ? उत्तर में इयस्स णं भते' डे सावन् ! मप्रथमसमयमा पतमान २यिनी ॥यસ્થિતિ કેટલા કાળ પર્યન્તની હોય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે है-'जहण्णेणं दसवाससइस्साई सम ऊणाई उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाइं समऊणाई' 3 गौतम ! मप्रथमसमयवती २ नैयि४ छ तभनी स्थिति ઓછામાં ઓછી એક સમય હીન ૧૦ દસ હજાર વર્ષ પર્યન્તની હોય છે. અને વધારેમાં વધારે એક સમય હીન તેત્રીસ સાગરેપમ પર્યન્તની હોય છે. से प्रभारी मधेस सभ७ से. 'पढमसमयतिरिक्खजोणिएणं भते !' ભગવદ્ ! પ્રથમ સમયાવતિ તિય ગેનિક જીવોની કાયસ્થિતિને કાળ કેટલે હોય છે. આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે-હે ગૌતમ ! પ્રથમ સમય वती तिय योनि पनी आयस्थिति 'एक्कं समयं' ये समयानी डाय छे. 'अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स णं भते' 3 मावन् ! मप्रथम समयपति તિનિક જીવની કાયસ્થિતિ કેટલી હોય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી જીવાભિગમસૂત્ર

Loading...

Page Navigation
1 ... 1534 1535 1536 1537 1538 1539 1540 1541 1542 1543 1544 1545 1546 1547 1548 1549 1550 1551 1552 1553 1554 1555 1556 1557 1558 1559 1560 1561 1562 1563 1564 1565 1566 1567 1568 1569 1570 1571 1572 1573 1574 1575 1576 1577 1578 1579 1580