Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. १० सू. १५४ जीवानां दशविधत्वनिरूपणम् दियाणं पंचिंदियाणं अर्णिदियाण य कयरेकयरेहिंतो अप्पा वा - बहुया वा-तुल्ला वा विसेसाहिया वा' ? एतेषां खलु भदन्त ! पृथिवीकायिकादीनां दशानामपि कतरेकतरेभ्योऽल्पाः ० ? भगवानाह - 'गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिंदिया' गौतम ! सर्वस्वोकाः पञ्चेन्द्रियाः 'चउरिंदिया विसेसाहिया - तेइंदिया विसेसाहिया बेईदिया विसेसाहिया' पूर्वतश्चतुरिन्द्रियास्ततस्त्रीन्द्रियास्ततो द्वीन्द्रियाः क्रमगत्या विशेषाधिकाः सर्वे ज्ञेया: । 'तेउकाइया असंखेज्जगुणा' ततस्तेजस्कायिका असंख्येयगुणाधिकाः 'पुढवीकाइया विसेसाहिया आउकाइया विसेसाहिया वाउकाअप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा' हे भदन्त ! इन पृथिवीकायिकों के अष्कायिकों के, तेजस्कायिक के, वायुकायिकों के दोइन्द्रियों के, तेइन्द्रियों के, चौइन्द्रियों के, पञ्चेन्द्रियों के और अनिन्द्रियों के बीच में कौन जीव किन जीवों की अपेक्षा अल्प हैं ? कौन जीव किन जीवों की अपेक्षा बहुत हैं कौन जीव किन जीवों के बराबर हैं ? कौन जीव किन जीवों से विशेषाधिक हैं । इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'गोयमा !' हे गौतम ! इन दश जीवों के बीच में 'सव्वत्थोवा पंचिंदिया' पञ्चेन्द्रिय जीव सब से कम हैं इनकी अपेक्षा 'चउरिंदिया विसेसाहिया' चौइन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'तेईदिया विसेसाहिया' तेइन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'वेइंदिया विसेसाहिया' दोइन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'तेउकाइया असंखेज्जगुणा' तेजस्कायिक जीव असंख्यातगुणें अधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'पुढवीकाइया विसेसाहिया' पृथिवीकायिक जीव विशेषाधिक हैं । इनकी अपेक्षा 'आउकाइया विसेसाहिया' अष्काતેજસ્કાયિકા વાયુકાયિકા, એ ઇંદ્રિયજીવા, તે ઇંદ્રિયા, ચૌ ઈંદ્રિય જીવે પાંચેન્દ્રિય જીવ, અને અનિન્દ્રિય જીવેામાં કયા જીવા કયા જીવાના કરતાં અલ્પ છે ? કયા જીવા કયા જીવાના કરતાં વધારે છે. કયા જીવા કયા જીવાની ખરાખર છે ? અને કયા જીવા કયાવાના કરતાં વિશેષાધિક છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં अलुश्री उडे छे - 'गोयमा ! हे गौतम ! दिया' पथॆन्द्रिय लवे। सौथी अल्प छे. तेना रतां 'चउरिंदिया विसेसाहिया' थार 'द्रियवाणाला विशेषाधि छे. तेना उरतां 'तेइंदिया विसेसाहिया' ऋणु द्रियवाजालवा विशेषाधि! छे तेना उरतां बेइंदिया विसेसाहिया' में 'द्रिय व विशेषा धि छे. तेना ४२तां 'तेउकाइया असंखेज्जगुणा' तेनायि व असंख्यातगया वधारे छे. तेना ४२तां 'पुढवीकाईया विसेसाहिया' पृथ्वी अयि व विशेषाधिक छे. तेना रतां 'आउकाइया विसेसाहिया' युद्धायि व विशेषाधि छे. तेना
इस वोमा 'सव्वत्थोवा पंचि
જીવાભિગમસૂત્ર