Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.१२४ सौधर्मेशानादिदेवानां विभूषादिनि० १११७ देव्यो न सन्ति इति । 'गेवेज्जगदेवा केरिसया विभूसया पन्नत्ता' हे भदन्त ! ग्रैवेयका देवाः कीदृशा विभूषया प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह-'गोयमा !' हे गौतम ! ते खलु देवाः 'आभरणवसणरहिया' आभरणवसनरहिताः प्रकृतिस्था विभूषया प्रज्ञप्ताः एकस्यैव भवधारणीयशरीरस्य सत्त्वात् । 'एवं देवी पत्थि भाणियध्वं' एवं ग्रैवेयककल्पे देव्यो न सन्तीति भणितव्यम् तस्माद्देवी सूत्राणि न वक्तव्यानि। 'एवं अणुत्तरोववाइया वि' एवं ग्रैवेयकदेववत् अनुत्तरोपपातिका अपि शरीर विभूषया निरूपणीयाः एकमेवभवधारणीयं शरीरमेतेषां-देव्यश्चाऽत्र न सन्तीति वक्तव्यम् इति । देवियां उत्पन्न नहीं होती है अतः सनत्कुमार आदि कल्पों में देवियों के सम्बन्ध में शारीरिक शोभा का वर्णन करने वाले सूत्रों के कहने का निषेध किया गया है । 'गेवेज्जगदेवा केरिसया विभूसाए पन्नत्ता' हे भदन्त ! अवेयक देव कैसी विभूषा से विभूषित कहे गये हैं ? इस के उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! वे देव 'आभरणवसणरहिया' अपने शरीर की शोभा आभरण आदिको द्वारा नहीं बनाते हैं क्योंकि ये उनसे रहित होते हैं अतः उनके शरीर की शोभा स्वभावतः ही होती है। यहां एक ही भवधारणीय शरीर होता है "एवं देवी णत्थि भाणियच्वं' यहां पर भी देवियों के शारीरिक शोभा सम्बन्धी सूत्र नहीं कहे गये हैं क्योंकि ग्रैवेयक कल्प में देवियां नहीं होती हैं। 'एवं अणुत्तरोववाइया वि' अनुत्तर विमानवासी देवों के भी एक ही भवधारणीय शरीर होता है अतः ये भी अवेयक देवों की तरह अपने અહીંયાં કહેવાનું નથી. કેમકે-બીજા સ્વર્ગની આગળ દેવિ ઉત્પન્ન થતી નથી. તેથી જ સનકુમાર વિગેરે કલ્પમાં દેવિયેના સંબંધમાં શારીરિક શેભાનુ पनि ४२वापासूत्र पानी निषेध ४९स छ.' गेवेज्जग देवा केरिसया विभूसया पण्णत्ता' भगवन् अवेय४ । । प्रानी विभूषाथी विभूषित वामां આવેલ છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી કહે છે કે-હે ગૌતમ ! તે દેવો 'आभरणवसण रहिया' घेताना शरीरनी शाला माभूषा विगेरे दामनायता નથી કેમકે તેઓ આભરણુદિથી રહિત હોય છે. તેથી તેમના શરીરની શેભા સ્વાભાવિકી જ હોય છે. અહીયાં તેમના શરીર એકજ ભવધારણીય જ હોય छ. 'एवं देवी नत्थि भाणियव्वं' मडीया ५ वियानी शारी२४ शाला સંબંધી સૂત્ર કહેવામા આવેલ નથી. કેમકે ગ્રેવેયક ક૫માં દેવિ હતી नथी. 'एवं अणुत्तरोववाइया वि' २५नुत्तर विमान वासी देवाने पY ४ सयाરણીય શરીર જ હોય છે. તેથી તેઓ પણ ગ્રેવેયક દેવેની જેમ પિતાના
જીવાભિગમસૂત્ર