Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे अथाल्पबहुत्वम्-‘पढमसमयिकाणं सव्वेसि सव्वत्थोवा पढमसमयपंचिदिया' प्रथमसमयकैकेन्द्रियादि पञ्चेन्द्रियान्तानां सर्वस्तोकाः प्रथमसमयक पश्चेन्द्रियाः अल्पानामैवैकस्मिन् समये प्रथमसमयपश्चेन्द्रियाणामुत्पादात् । 'पढमसमयचउरिंदिया विसेसाहिया' ततः प्रथमसमयचतुरिन्द्रिया विशेषाधिकाः प्रभूतानामेकसमये उत्पादसंभवात् । 'पढमसमयतेइंदिया विसेसाहिया' पूर्वस्मात-प्रथमसमयत्रीन्द्रियो विशेषाधिकाः प्रभूतत्रीन्द्रियाणामेकसमये उत्पादात् । 'पढमसमयबेइंदिया विसेसाहिया' ततोऽपि प्रथमसमयद्वीन्द्रिया विशेषाधिका: एकदा कतिपया इन्द्रियात्पादसंभवात् । 'पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया' दिया' प्रथम समयवर्ती जीवों में सबसे कम प्रथम समयवर्ती पञ्चेन्द्रिय जीव हैं क्योंकि एक समय में प्रथम समयवर्ती पञ्चेन्द्रिय जीवों का उत्पाद अल्प ही होता है 'पढमसमयचउरिदिया विसेसाहिया' इनकी अपेक्षा प्रथम समयवर्ती चौइन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं। क्योंकि ऐसे चौइन्द्रिय जीव का उत्पाद एक समय में इनकी अपेक्षा अधिक होता है 'पढम समय तेइदिया विसेसाहिया' प्रथम समयवर्ती चौडन्द्रिय जीवों की अपेक्षा प्रथम समयवर्ती तेइन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं। क्योंकि ऐसे तेइन्द्रिय जीव का उत्पाद एक समय में इनकी अपेक्षा बहुत अधिक होता है 'पढमसमय बेइंदिया विसेसाहिया' इनकी अपेक्षा प्रथम समयवर्ती दो इन्द्रिय जी विशेषाधिक हैं क्योंकि ऐसे दोइन्द्रिय जीवों का उत्पाद एक समय में इनकी
અ૫ બહુવનું કથન 'पढमसमयकाणं सव्वेसि सव्वत्थोवा पढमसमयपंचिं दिया' प्रथम समय વતી જીવમાં સૌથી ઓછા પ્રથમ સમયવર્તી પંચેન્દ્રિય જીવ છે. કેમકે એક સમયમાં પ્રથમ સમયવતી પંચેન્દ્રિય જીને ઉત્પાત અલ્પ જ થાય છે. 'पढमसमयचउरि दिया विसेसाहिया' तेना ७२di प्रथम समयवती चौधतिय જીવ વિશેષાધિક છે. કેમકે એવા ચૌઈ દ્રિય જીવોને ઉત્પાત એક સમયમાં तेन। ४२di पधारे थाय छे. 'पढमसमय तेइंदिया विसेसाहिया' प्रथम समयवती ૌઈ દ્રિય જીવોના કરતાં પ્રથમ સમયવતી ત્રણ ઈદ્રિયવાળા જીવો વિશેષાધિક છે. કેમકે–એવા ત્રણ ઈદ્રિયવાળા જીવોને ઉત્પાદ એક સમયમાં તેના કરતાં 4 धारे थाय छे. 'पढमसमय बेइंदिया विसेसाहिया' तेना ४२di प्रथम સમયવતી બે ઈદ્રિયવાળા જીવો વિશેષાધિક છે. કેમકે એવા બે ઈદ્રિયવાળા જીનો ઉત્પાત એક સમયમાં તેના કરતાં ઘણુ જ વધારે પ્રમાણમાં થાય છે 'पढमसमयएगिदिया विसेसाहिया' तेन। ४२i प्रथम समयवती २ मेन्द्रिय
જીવાભિગમસૂત્ર