Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.१०६ जम्बूद्वीपादयः नाम्ना निर्दिश्यन्ते ९१५ नामकदेशविशेषे समुत्पादितानां वा कालपर्वाणां त्रिभागोत्पाटित वाटकानाम् त्रिभागनिष्पीडितानाम् आद्यन्तभागरहितानां बलवद्भिनेरेयन्त्रतः परिगालितमात्राणां स रसो यथा भवेत् ततश्च वस्त्रपरिपूतः सुगन्धित-चातुर्जातकैः (एलातजदालचीनी-नागकेसर) सुवासितोऽत एषोऽधिकपथ्यः लघुकः वर्णेन यावत् स्पर्शेणोपेतः सन् इव गौतम आह-भवे देतादृशं जलम् भगवान् प्राह-नायमर्थोऽथ प्रत्याययितुं समर्थः इतोऽपीष्टतरं कान्तमवेहि इति । 'एवं सेसाण वि समुदाणं भेओ जाव सयंभूरमणस्स' एवं शेषाणमपि सूर्यवरावभासादि समुद्राणां भेदो ज्ञातव्यः । यावत् स्वयम्भूरमणसमुद्रस्य । 'णवरि अच्छे जच्चे पत्थे जहा वह तृणादि से रहित बन जावे-पुनः उसमें दाल चीनी इलायची, केशर, कपूर आदि सुगंधित द्रव्यों को मिला कर सुवासित बना लेना चाहिये ऐसा बना लेने से वह अत्यन्त पथ्यकारी निरोग करने वाला हलका हो जाता है और वर्ण रस आदि से विशिष्ट बनकर अनुपम स्वाद वाला बन जाता है 'जाव भवेयारूवे सिया' तो क्या ऐसे ही स्वाद वाला क्षोदोदसमुद्र का जल है ? अर्थात् जैसा यह सब होता है क्या ऐसा ही इस समुद्र का जल होता है ? इस के उत्तर में प्रभु कहते हैं-'एत्तो इट्टयरा' हे गौतम क्षोदोदसमुद्र का जल इससे भी अधिकतर स्वाद वाला है "एवं सेसगाण वि समुदाणं भेदो जाव सयंभूरमणस्स' इसी प्रकार से अवशिष्ट समुद्रों के जल के स्वाद के भेद के सम्बन्ध में भी यावत् स्वयंभूरमण समुद्र के जल तक कथन जानना चाहिये अर्थात् इन सब समुद्रों का जल इक्षुरस के जैसा ही है 'णवरं' परन्तु स्वयंभूरमण समुद्र का पानी इक्षुरस के स्वाद जैसा नहीं है क्योंવિનાને બની જાય. અને તે પછી તેમાં દાલચિની, ઈલાયચી, કેસર, કપૂર વિગેરે સુગંધવાળા દ્રવ્યો મેળવીને તેને સુવાસિત બનાવી લેવો જોઈએ તેમ બનાવવાથી તે અત્યંત પથ્યકારી, નિરોગી, હલકે બની જાય છે. અને વર્ણ विगैरेथी विशेष प्रा२ने मनी जय छे. 'जाव भवेयारूवे सिया' तो शु? એવા પ્રકારના સ્વાદવાળું દેદ સમુદ્રનું જળ છે? અર્થાત્ જેવી રીતે આ રસને સ્વાદ હોય છે એવા પ્રકારનું આ સમુદ્રનું જળ હોય છે? આ પ્રશ્નના उत्तरमा प्रमुश्री ४ छ -'एत्तो इटु यराए' गौतम ! हो समुद्रनु are मेनाथी ५९१ धारे स्वाहा डाय छे. 'एवं सेसगाण वि० समुद्दाणं भेदो जाव सयंभूरमणस्स' २० प्रमाणे माडीन। समुद्रीना सना वाहना ભેદ સંબંધી કથન પણ યાવત્ સ્વયંભૂરમણ સમુદ્રના જલના સ્વાદ વર્ણન પર્યન્ત કહી લેવું. અર્થાત્ આ બધા સમુદ્રનું જલ શેરડીના રસ જેવું જ
જીવાભિગમસૂત્ર