Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे खलु भदन्त ! अधस्तनौवेयका देवाः परिवसन्ति यथैव स्थानपदे तथैव एवं मध्यमौवेयकाः उपरितनौवेयकाः अनुत्तराश्च यावत् अहमिन्द्रानाम ते देवाः, प्रज्ञप्ताः श्रमणायुष्मन् ? ॥सू०११९॥
॥ इति प्रथमोवैमानिकोद्देशः॥ टीका-'सकस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो कति परिसाओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! तओ परिसाओ पन्नत्ताओ-तं जहा-समिता, चंडा, जाता, अभितरिया समिया, मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाता' हे भदन्त ! देवेन्द्रदेवराजशक्रस्य कति पर्षदः सभाः सन्ति ? भगवानाह-हे गौतम ! तिस्रः परिषदः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-समिता १ चण्डा २ जाता ३ तत्राऽभ्यन्तरिका पर्षत् समितानाम्नी, मध्यमिका चण्डा, बाह्या या-सा जाता नाम्नी विश्रुता। 'सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो अभितरिया परिसाए कइ देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ?
'सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देव रणो' इत्यादि ।
टीकार्थ-गौतम स्वामी ने प्रभु से ऐसा पूछा है-हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराज शक्र की कितनी परिषदाएं कही गई हैं ? उत्तर में प्रभु कहते कहते है-'गोयमा ! तओ परिसाओ पन्नत्ताओ' हे गौतम ! तीन परिषदाएं देवेन्द्र देवराज शक्र की कही गई है । 'तं जहा' जिनका नाम इस प्रकार से है-'समिया चंडा जाया' समिता, चंडा और जाता इनमें 'अभितरिया, समिया, मज्झमिया चंडा बाहिरिया जाया' जो आभ्यन्तर परिषदा है उसका नाम समिता है जो मध्य परिषदा है उसका नाम चंडा परिषदा है और बाहर की परिषदा है उसका नाम जाया परिषदा है 'सक्कस्स णं भते । देविंदस्स देवरण्णो अभितरियाए परिसाए कति देव साहस्सीओ पण्णत्ताओ' हे भदन्त ! देवेन्द्र
'सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो' त्या
ટીકાઈ-ગૌતમસ્વામીએ પ્રભુશ્રીને એવું પૂછયું કે હે ભગવદ્ દેવેન્દ્ર દેવરાજ શકની કેટલી પરિષદાઓ કહેવામાં આવેલ છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં प्रमश्री गीतभस्वामीन छ - 'गोयमा ! तओ परिसाओ पण्णत्ताओ' है गौतम ! त्रए परिषहास हेवेन्द्र हे१२०१ शनी ४८ छ. 'तं जहा' तेनु नाम
॥ प्रमाणे डस छ. 'समिया चंडा, जाया' सभिता या भने त तमा 'अभितरिया समिया, मज्झमिया चंडा बाहिरिया जाया' 7 माल्यन्त२ ५२५।। છે તેનું નામ સમિતા છે. મધ્યમાં જે પરિષદા છે તેનું નામ ચંડા એ પ્રમાણેનું છે. એને બહારની જે પરિષદા છે. તેનું નામ જાતા એ પ્રમાણે છે. 'सकसणं भंते ! देविंदस्स देवरणो अभितरियाए परिसाए कति देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ' हे भगवन् हेवेन्द्र हेवा शनी मान्यन्त२ परिषदामा टसा
જીવાભિગમસૂત્ર