Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू. ११९ शक्रादिदेवानां परिषदादिनि० १०३३ स्थितिः प्रज्ञप्ता । अर्थः स एवाऽन्यत्-शक्रवत् । ‘एवं माहिंद्रस्स वि तहेव' एवं माहेन्द्रस्यापि जिज्ञासायां तथैव सनत्कुमारवत् प्रश्नमुद्भाव्य 'तओ परिसाओ णवरिं अभितरियाए परिसाए' तिस्रः पर्षदः नवरम्-आभ्यन्तरिकायाम् पर्षदि 'छदेवसाहस्सीओ पन्नताओ, मज्झिमियाए परिसाए अट्ठदेवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ, बाहिरियाए दस देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ' पइदेवसहस्राणि मध्यमिकायामष्टौ० बाह्यायां दशदेवसहस्राणि प्रज्ञप्तानि 'ठिई देवाणं-अभितरियाए परिसाए अद्धपंचमाइं सागरोवमाई सत्त पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता मज्झिमियाए परि० पंच, सागरोवमाइं छच्चपलिओवमाई बाहिरियाए परिसाए अद्धपंचजानना चाहिये एवं माहिंदस्स वितहेव तओ परिसाओ णवरं अभितरियाए परिसाए छद्देव साहस्सीओ पण्णत्ताओ' इसी तरह से माहेन्द्र देवेन्द्र के विषय में भी कथन जानना चाहिये यहां पर भी पूर्वोक्त नाम वाली तीन परिषदाएं हैं। आभ्यन्तर परिषदा में 'छद्देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ' ६ हजार देव है 'मज्झिमियाए परिसाए अट्टदेव साहस्सीओ पण्णत्ताओ' मध्यपरिषदा में आठ हजार देव है और 'बाहिरियाए दसदेवसाहस्सीओ प०' बाह्यपरिषदा में १० हजार देव है । 'ठिती देवाणं अभितरियाए परिसाए अद्धपंचमाइं सागरोवमाई सत्तपलिओवमाई' आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति ४॥ सागरोपम की और सात पल्योपम की है 'मज्झिमियाए परि० पंचसागरोवमाइं छच्च पलिओवमाई' मध्यपरिषदा के देवों की स्थिति पांच सागरोपम की और छ पल्योपम की है 'बाहिरियाए परि० अद्धपंचसमन ‘एवं माहिंदस्स वि तहेव तओ परिसाओ णवरं अभिंतरियाए परिसाए छ देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ' मेरी प्रमाणे भाउन्द्र हेवेन्द्रना समयमा ५५ કથન સમજી લેવું, અહીંયા પણ પૂર્વોક્ત નામે વાળી ત્રણ પરિષદાએ કહેવામાં सास छ. सायन्त२ परिषदामा 'छ देव साहस्सीओ पण्णत्ताओ' छ र हेवे। छ. 'मज्झिमियाए परिसाए अदु देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ' मध्यमा परिषहामा मा १२ । छे. अने, 'बाहिरियाए दस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ' माह परिषहामा १० ४स उन्न२ हे। छे. 'ठिई देवाणं अभितरियाए परिसाए अद्ध पंचमाइं सागरोवमाई सत्त पलिओवमाई' मास्यन्त२ परिषहाना हेवानी स्थिति ४॥ सा। या२ साग।५म भने सात पक्ष्योपनी छ. 'मज्झिमियाए परिसाए पंच सागरोवमाइ छच्च पलिओवमाइ' मध्यम पश्षिहाना हेवानी स्थिति पांय साश५म सने पक्ष्योपभनी छे. 'बाहिरियाए परिसाए अद्ध पंचमाई
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જીવાભિગમસૂત્ર