Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे तारारूपस्य तारारूपस्य चान्तरं प्रज्ञप्तमिति । 'चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरनो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा-चंदप्पभा-दोसिणाभा-अच्चिमालीपभंकरा तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि-२ देविसाहस्सीओ परिवारे य' चन्द्रस्य ज्योतिषेन्द्रस्य ज्योतिषराजस्य कति अग्रमहिष्यः ? भगवानाह-हे गौतम ! चन्द्रप्रभा-ज्योत्स्नाभाऽर्चिमाली-प्रभङ्कराख्याश्चतस्रोऽग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः, तत्रैकैकदेव्याः चत्वारि २ देवीसहस्राणि परीवारो विकुर्वितुं शक्यते । 'पभूणं तओ एगमेगा देवी अण्णाई है इसी तरह का अन्तर कथन यावत् एक तारारूप से दूसरे तारारूप तक में जानना चाहिये 'चंदस्स णं भंते ! जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो कति अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ' हे भदन्त ! ज्योतिषेन्द्र ज्योतिषराज चन्द्र की कितनी अग्रमहिषियां कही गई हैं 'गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ' हे गौतम ! चन्द्र की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं 'तं जहा' उन के नाम इस प्रकार से हैं-'चंदप्पभा, दोसिणामा, अच्चिमाली, पभंकरा' चन्द्रप्रभा, ज्योत्स्नाभा, अर्चिमाली और प्रभं. करा । 'तत्थणं एगमेगाए देवीए चत्तारि चत्तारि देवि साहस्सीओ परिवारे य' इनमें एक एक देवी का परिवार चार चार हजार देवियों का है इस से यह जाना जाता है कि एक ही पटरानी प्रयोजन के होने पर चार हजार देवियों की विकुर्वणा कर सकती है 'पभू णं तओ પ્રમાણેનું અંતરનું કથન યાવત્ એક તારા રૂપથી બીજા તારા રૂપ સુધીમાં सम से 'चंदस्स णं भते ! जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो कति अगमहिसीओ पण्णत्ताओ भगवन् ज्योतिषेन्द्र यातिष २०१ यद्रनी अमहियो l
पामा मावेस छे ? 'गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ गौतम! તિન્દ્ર જોતિષ રાજ ચંદ્રની અગ્રમહિષિ કેટલી કહેવામાં આવેલ છે? 'गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ गौतम ! ज्योतिषन्द्र ज्योतिष२००१ यद्रनी महिषिया या२ उपामा मावेस छे. 'तं जहा' ते 20 प्रमाणे छ. 'चंदप्पभा, जोसिणाभा अच्चिमाली, पभंकरा' यद्रप्रभा, ज्योत्स्नामा, माथि. भासी, मने प्रल ४२१. 'तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि चत्तारि देवि साहस्सीओ परिवारेय' तेभा मे से विन। परिवार या२ यार हुन२ हेवियोनी छे. मानाथी એ જાણવામાં આવે છે કે-એકજ પટ્ટરાણી જરૂર પડેતે ચાર હજાર દેવિ રૂપ परिवाना वा ४२ ४४वामा समर्थ छ. 'पभूणं तओ एगमेगा देवी अण्णाई चत्तारि २ देविसहस्साई परिवारं विउवित्तए' म मे मे हेवी मी या२ ३०१२ हवायो ३५ परिवा२ ३५ वि ४२वाने शक्तिशाली छ. तेथी 'एवा मेव
જીવાભિગમસૂત્ર