Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे
गौतम ? ' जमसु णं पव्वएसु' यमकयोः खलु पर्वतयोः 'तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहुओ खुड्डा खुडियाओ वावीओ जाव बिलपतियाओ तासु णं' तत्र तत्र देशे तत्र तत्र बहूबयः क्षुल्लकक्षुल्लिका वाप्यो यावद् बिलपतयः, 'तासु खलु खुड्डाखुडियासु जाव सयसहस्सपत्ताइ' क्षुल्लक - क्षुल्लिकासु वापीषु सरःसु जाव बिलपतियासु बहूई उप्पलाई ' सरपङ्क्तिषु बिलेषु बिलपंक्तिकासु उत्पलानि पद्मानि कुमुदानि कमलानि पुण्डरोकाणि महापुण्डरीकाणि शतपत्राणि सहस्रपत्राणि, 'जमगप्पभाई' यमकप्रभाणि - यमकाः पक्षिविशोषा स्तत्कान्ती नीत्यर्थः तदेवाह - 'जमगवण्णाई' यमकवर्णानि 'जमगाय एत्थ दो देवा' अत्र यमकनामानौ द्वौ देवौ स्तः 'महड़िया' जाव पलिओवमट्टिईया परिवसंति' तत्र तत्र यमकपर्वतयोः स्वामिनौ द्वौ देवौ महर्द्धिकौ महाद्युतिकौ महायशसौ महासौ ख्यौ महानुभागौ पल्योपमस्थितिको परिवसतः । 'तेणं तत्थ पत्तेयं २' तौ यमकहैं - 'गोयमा ? जमगेसु णं पव्वएस खुड्डा खुड्डियासु जाव सहस्सपत्ताई' हे गौतम! यमकपर्वतों पर जो छोटी छोटी वापिकाएं हैं, तालाव हैं, तालाव पक्तियां हैं विले हैं, बिलपंक्तियां हैं उनमें सब में - ' उप्पलाई जाव सहस्सपत्ताई' अनेक उत्पल हैं, पद्म हैं, कुमुद हैं, कमल हैं, पुण्डरीक है, महापुण्डरीक है, शतपत्र हैं और सहस्रपत्र हैं 'जमगप्प भाई' इनकी प्रभा पक्षियों की प्रभा जैसी है यहां यमक शब्द का अर्थ पक्षि विशेष है । 'जमगवण्णाई' और इनका वर्ण भी यमकके वर्ण जैसा ही है 'जमगाय एत्थ दो देवा' यहां पर यमक नामके दो देव रहते हैं। 'जाब महिडिया' ये परिवार विमान आदि रूप महती ऋद्धि वाले हैं। महाद्युति और महायश वाले हैं । महासुखशाली और महाप्रभाव -
એ પ્રમાણેનું નામ શા કારણથી કહેવામાં આવેલ છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં अनुश्री छे - 'गोयमा ! जमगेसु णं पव्वएस खुड्डाखुडिडयासु जाव सहस् पत्ताई' हे गौतम! यम पर्वतानी उपर ने नानी नानी वावडीयो छे तजावे। छे; तसाच पंक्तियो छे मिले। छे. मिसतिया छे, ते धामां 'उप्पलाई जाव सहरसपत्ताई' ने उत्पोछे, पद्मो छे; कुभुो छे; उभा छे, पुंडरी छे; शतपत्रो छे, भने सहस्रपत्र छे. 'जमगपभाई' तेनी प्रभा पक्षियोनी प्रला नेवी छे. महियां यम शब्दनो अर्थ पक्षि मे प्रभानो छे. 'जमग वण्णाइ' तेनु वर्षान पशु यभाना वार्जुन भेवु छे. 'जमगाय एत्थ दो देवा' अहींया यभः नाभना मे देवेो निवास उरे छे. 'जाव महिइडिया' तेथे परिવાર વિમાન વિગેરે પ્રકારની મહાન્ ઋદ્ધિથી યુક્ત છે. મહાદ્યુતિવાળા છે અને મહાયશવાળા છે. મહાસુખશાળી અને મહાપ્રભાવશાળી છે. તેઓની સ્થિતિ
જીવાભિગમસૂત્ર