Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.९६ कालोदसमुद्रनिरूपणम् ७१ समचक्कवालसंठाणसंठिए नो विसमचक्कवालसंठाणसंठिए' कालोदो नामवान् खलु समुद्रः किं समचक्रवालसंस्थानसंस्थितः किं वा विषमसंस्थानेन संस्थितः ? भगवानाह-हे गौतम ! समचक्रवालसंस्थानसंस्थितः नो कदापि-विषमेण संस्थानेन संस्थितः। 'कालोदेणं भंते ! समुद्दे केवइयं चकवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पन्नत्ते ? गोयमा ! अजोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं एकाणउइ जोयणसयसहस्साई सत्तरिसहस्साइं छच्च पंचुत्तरे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पन्नत्ते' हे भदन्त ! कालोदो नाम समुद्रः खलु कियता चक्रवालविष्कम्भेण-कियता च परिक्षेपेण प्रज्ञप्तः ? भगवानाह-हे गौतम ! अष्टयोजनशतसहस्राणि एकनवति योजनशतसहस्राणि चक्रवालविष्कम्भेन सप्ततिः सहस्त्राणि षट् च पंचोत्तराणि शतानि किंचि द्विशेषाधिकानि परिक्षेपेण प्रज्ञप्तः । एकश्च योजनसहस्रमुढेधे नेति गम्यते, उक्तश्चसमचक्रवाल वाला है, या विषम चक्रवाल वाला है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा ! समचक्कवाल० णो विसमचक्कवाल संठिते' हे गौतम ! कालोद समुद्र का आकार समचक्रवाल वाला है विषमचक्रवाल वाला नहीं है 'कालोदेणं मंते ! समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खं. भेणं केवतियं परिक्खेवेणं पण्णत्ते' हे भदन्त ! कालोद समुद्र का चक्रवाल विष्कम्भ कितना है ? और इसकी परिधि का प्रमाण कितना है ? 'गोयमा ! अट्ठ जोयणसयसहस्साई, चक्कवाल विक्खंभेणं एकाणउतिजोयण सयसहस्साइं सत्तरि सहस्साई छच्च पंचुत्तरे जोयणसते किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते' उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गौतम ! कालोद समुद्र का चक्रवाल विष्कम्भ आठ लाख योजन का है और इसकी परिधि का प्रमाण एकानवे लाख सतरह हजार छ सौ કે વિષમ ચકવાળ વાળે છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી ગૌતમસ્વામીને કહે छ -'गोयमा ! समचक्कवाल संठाण संठिते णो विसमचक्कवाल संठाण संहिते' હે ગૌતમ! કલેદ સમુદ્રને આકાર સમચકવાલ વાળે છે, વિષમ ચકવાલવાળે नथी. 'कालोदेणं भंते ! समुद्दे केवतिय चक्कवाल विक्खंभेणं केवतिय परिक्खेवेणं पण्णत्ते, मगवन् साह समुद्री यास विल ५ छ ? मने ती परिधिनु प्रभा छ ? 'गोयमा ! अट्ठ जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं एकाणउति जोयणसयसहस्साई सत्तरिसहस्साई छच्च पंचुत्तरे जोयण सए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते' उत्तरमा प्रभुश्री ४ छ ગૌતમ! કાલેદ સમુદ્રને ચકવાલ વિશ્કેભ આઠ લાખ જનને છે. અને તેની પરિધિનું પ્રમાણ ૯૧ એકાણુ લાખ સત્તર હજાર છસે પંચોતેર જનથી
જીવાભિગમસૂત્ર