Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे टीका-'से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ जंबुद्दोवे दीवे' तत्केनार्थेन भदन्त एवमुच्यते जम्बुद्वीपो द्वीपः एतस्य जम्बुद्वीप इति नामकरणे को हेतुः इति प्रश्नः ? भगवानाह-'गोयमा' हे गौतम ? 'जंबुद्दीवे दीवे' जंबूद्वीपो द्वीपः 'मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं' मन्दरपर्वस्योत्तरस्यां दिशि-'नीलवंतस्स दाहिणेणं' नीलवतो वर्षधरस्य दक्षिणस्याम्, 'मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं' माल्यवतो वक्ष स्कारगिरेः पश्चिमायाम् 'गंधमायणस्स वक्खारपव्वयस्स पुरस्थिमेणं' गन्धमादन वक्षस्कारगिरेः पूर्वस्याम् ‘एत्थ णं उत्तरकुरानाम कुरा पन्नत्ता' अत्र स्थाने खलु उत्तरकुरवो नाम कुरवः क्षेत्रविशेषाः प्रज्ञप्ताः प्रथिताः। 'पाडीणपडीणायता-प्राचीन
'से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ' इत्यादि ।
टीकार्थ-'से केटेणं भंते ! एवं बुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे' हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि जम्बूद्वीप नामका एक द्वीप है ? अर्थात् जम्बूद्वीप का जम्बूद्वीप ऐसे नाम होने का क्या कारण है ? उत्तर में भगवान कहते हैं-'गोयमा !' हे गौतम ! 'जंबुद्दीवेणं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं' सुनो-जंबूद्वीप में एक सुमेरुपर्वत है इस की उत्तर दिशा में 'नीलवंतस्स दाहिणेणं' नील नामका एक वर्षधर पर्वत है इस वर्षधर पर्वत की दक्षिण दिशा में 'मालवंतस्स वक्खार पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं' एक माल्यवान नामका वक्षस्कार पर्वत है इस पर्वत की पश्चिम दिशा में 'गंधमायणवक्वारपव्वयस्स पुरस्थिमेणं' गन्धमादन नामका एक वक्षस्कार पर्वत है इस पर्वत की पूर्व दिशा में 'एत्थ णं उत्तरकुरा नाम कुरा पन्नत्ता' उत्तर कुरु नामका एक क्षेत्र विशेष है 'पाडीणपडीणायता' यह पूर्व से पश्चिम तक
'से तेणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ(त्यादि
टी -‘से तेण?णं भंते ! एव वुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे' लावन् मा५ मे શા કારણથી કહે છે કે જંબુદ્વીપ નામને એક દ્વિીપ છે? અર્થાત્ જંબુદ્વીપનું જંબુદ્વીપ એ પ્રમાણેનું નામ શા કારણથી થયેલ છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં प्रभुश्री ४९ छ - 'गोयमा! ॐ गौतम ! जंबुद्दीवेणं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं' दीपभा मे सुभे३ पर्वत छ. तनी उत्तर दिशामा 'नीलवंतस्स दाहिणेणं' नाaai नामनी मे४ वर्ष ५२ त छ. मे १५२ पतनी दक्षिण दिशामा 'मालवंतस्स वक्खारपव्ययस्स पञ्चत्थिमेणं' मे मास्यवान नामना १९२४२ ५'त छ. से ५ तनी पश्चिम दिशामा 'गंधमायणवक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं' माइन नामनी मे पक्ष२४।२ पर्वत छ, ये पतनी पूर्व हिशामा 'एत्थणं उत्तरकुरा नाम कुरा पन्नत्ता' उत्त२४२॥ नामनु से क्षेत्र विशेष
જીવાભિગમસૂત્ર