Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.६६ विजयदेवाभिषेकवर्णनम् ३२५ पतवंति'-अप्येककाः केचन देवा ज्वलन्ति तपन्ति प्रत पन्ति, ज्वलनादित्रिकमपि कुर्वन्ति, । 'अप्पेगइया देवा गज्जेति'-एके केचन देवा गर्नन्ति-गर्जनमुच्चैर्नाद कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा विज्जुयायंति'-अपि केचन देवा विद्युतं कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा वासेंति'-वर्षन्ति-केचनैके वर्षों कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा गज्जति विज्जुयायंति-वासंति'-अपि केचन देवा गर्जनादि त्रितयं कुर्वन्ति, 'अप्पेगइया देवा देवसंनिवार्य करेंति'-अप्येककाः देवाः देवसन्निपातं-सम्यक्सुयोगं तवंति' कितनेकदेवों ने उस समय ऐसा ठाट रचा कि मानों वे तापगर्मी से अत्यन्त तप्त हो रहे हैं 'अप्पेगइया देवा पतवेंति' कितनेक देवों ने ऐसी स्थिति जाहर की कि मानों वे गर्मी से बूरी तरह से घायल हो रहे हैं। 'अप्पेगइया देवा जलंति तवंति तवंति कितनेक देवों ने अपने आपको उस समय ज्वाला माला से आकूल व्याकूल होना भी, गर्मी से तप्त होना भी और गर्मी से बूरी तरह से घायल होना भी प्रकट किया अर्थात् इस प्रकार के उन्होंने उस समय स्वांग रचे, 'अप्पेगइया देवा गज्जे ति अप्पेगइया विज्जुयायंति अप्पेगइया देवा वासंति' कितनेकदेवों ने उस समय ऐसा दृश्य उपस्थित किया कि मानों वे मेघों के जैसे गरजरहे हैं कितनेकदेवों ने ऐसा दृश्य उपस्थित किया कि मानों वे विजली रूप में चमक रहे हैं और कितनेक देवों ने ऐसा दृश्य उपस्थित किया कि मानों वे पानी के रूप में वरस रहे है कितनेकदेवों ने ये तीनों काम भी किये वे गरजे भी चमके भी और वरसे भी 'अप्पेगइया देवा देवसन्निवायं करेंति' कितनेकदेवों देवा तवेंति' सा हेवाये गे सभये गव। 318 य त तेसो तापअभिथी मत्यत ती २५ डाय 'अप्पेगइया देवा पतवेति' मा वामे એવી સ્થિતિ તે સમયે બતાવી કે જાણે તેઓ ગમિથી ઘણીજ ખરાબ રીતે घायत २हा डाय 'अप्पेगइया देवा जलंति तवंति पतवंति' ८४ हेवाये પિતાને એ સમયે. વાલા માલાથી આકુળ વ્યાકુળ થવાનું પણ, ગર્મિથી તપાયમાન થવાનું પણ, અને ગથિી બુરી રીતે ઘાયલ થવાનું પણ પ્રગટ કર્યું मर्थात् मे प्र४।२ना तेयाय ते १मते स्वा॥ २२यो. 'अप्पेगइया देवा गज्जे ति, अप्पेगइया विज्जुयायति अप्पेगइया देवा वासंति' सा हेवाये थे सभये मे દશ્ય બતાવ્યું કે જેણે તેઓ મેઘાની જેમ ગર્જી રહ્યા હોય કેટલાક દેવાએ એવું દશ્ય ઉપસ્થિત કર્યું કે જાણે તેઓ વિજળી જેવા ચમકી રહ્યા હોય અને કેટલાક દેએ એવું દશ્ય બતાવ્યું કે જાણે તેઓ પાણીની જેમ વરસી રહ્યા છે. તથા કેટલાક દેએ ત્રણે કાર્યો પણ કર્યા તેઓએ ગર્જનાઓ પણ કરી यम।२। ५४४ ४ा मने १२१॥ ५ ५२१. 'अप्पेगइया देवा देवसन्निवार्य
જીવાભિગમસૂત્ર