Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्त्री-हठ पर विजय
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मैं विशेष संतुष्ट हुआ हूँ। आप अपने लिये भी कुछ मांग लीजिये"-देव ने आग्रह किया।
"यदि आप कुछ देना ही चाहते हैं, तो मुझे वह शक्ति दीजिये कि मैं सभी पशु-पक्षियों की बोली समझ सकूँ"-सम्राट ने विचारपूर्वक मांग की।
___ "आपकी मांग पूरी करने में भय है । मै आपको यह देता हूँ, किन्तु आप उस शक्ति से जानी हुई बात दूसरों को सुनाओगे, तो आपके मस्तक के सात टुकड़े हो जावेंगे । इसका स्मरण रखना।"
नागकुमार चला गया।
स्त्री-हठ पर विजय
एक दिन सम्राट अपनी प्रियतमा के साथ शृंगारगृह में गये । वहाँ एक गर्भिणी छिपकली ने अपने प्रिय से कहा-"महारानी के अंगराग में से मेरे लिये थोड़ा-सा ला दो । मुझे इसका दोहद हुआ है।" उसका नर बोला-“तू मुझे मारना चाहती है क्या? मैं तेरे लिये अंगराग लेने जाऊँ, तो वे मुझे जीवित रहने देंगे ?" उनकी बात सुन कर महाराज हँस दिये । पति का हँसना देख कर महारानी ने पूछा-"आप क्यों हँसे ?" महाराजा ने कहा-“यों ही।" महारानी ने सोचा कोई विशेष बात होगी, इससे छिपा रहे हैं । उसने हठपूर्वक कहा-“आप मुझे हँसने का कारण बताइये। यदि मुझ से कुछ छुपाया तो मेरे हृदय को आघात लगेगा और मैं मर जाऊँगी।" राजा ने कहा-“यदि मैं तुम्हें कह दूं, तो तुम तो मरोगी या नहीं, किन्तु मैं तो अवश्य मर जाऊँगा । तुम्हें हठ नहीं करना चाहिये ।"
"अब में वह बात सुने बिना नहीं रह सकती । यदि बात सुनाने से ही आपकी मृत्यु होगी, तो मैं भी आपके साथ मर जाऊँगी और इससे अपन दोनों की गति एक समान होगी। आप टालिये मत । मैं बिना सुने रह ही नहीं सकती"-महारानी ने आग्रहपूर्वक कहा।
राजा मोहवश विवश हो गया। उसने कहा--"यदि तुम्हारी यही इच्छा है, तो पहले मरने की तैयारी कर लें और श्मशान में चलें। फिर चिता पर आरूढ़ होने के बाद मैं तुम्हें वह बात कहूँगा।"
रानी तत्पर हो गई । उसे विश्वास हो गया था कि अवश्य ही कोई महत्त्वपूर्ण बात है, जिसे मुझ-से छुपा रहे हैं और मृत्यु हो जाने का झूठा भय दिखा रहे हैं। महाराजा
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