Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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धर्म-देशना-श्रावक व्रत कककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककका
१३ दवाग्निदान-जंगलों को साफ करने के लिए, या गोंद के उत्पादन के लिए, खेत साफ करने के लिए अथवा पुण्य आदि की गलत मान्यता से आग लगाना 'दवाग्निहापनता' कर्म है । इससे अनन्त स्थावर और असंख्य त्रस जीवों की हिंसा होती है।
कई लोग ‘अग्नि को तृप्त करने की मान्यता से घास की गंजियों; मकानों, खेतों और जंगलों को जला देते हैं। कई देवदेवी की मन्नत के निमित्त से वन जलाते हैं, तो कई उग्र द्वेष के कारण गांव तक जला देते हैं । यह सब अनार्य-कर्म है। -- १४ सरःशोष कर्म-कुएं, तालाब आदि के पानी को सुखाना, पानी निकाल कर खाली करवाना । इससे अपकाय के अतिरिक्त असंख्य त्रसकाय के जीवों की विराधना होती है।
१५ असती पोषण कर्म x असती = दुराचारिणी स्त्रियों से दुराचार करवा कर 'आजीविका चलाना । कुत्ते, बिल्ली, सूअर आदि हिंसक पशुओं का पोषण कर के उन से हिसा करवाना पाप का पोषण करना है । अतएव असती = हिसक एवं दुराचारियों का 'आजीविकार्थ पोषण करना वर्जनीय है।
थीं पन्द्रह प्रकार के कर्मादान का त्याग करना चाहिए।
८ अनर्थदण्ड त्याग व्रत-जिस प्रवृत्ति से अपने गृहस्थ सम्बंधी आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो और व्यर्थ ही पापाचरण कर के आत्मा को दण्डित करने वाले अनर्थदण्ड से आत्मा को बचाना । मोटे रूप में अनर्थदण्ड चार प्रकार का है ;-१ अपध्यानाचरण-आर्त और रौद्र ध्यान में रत रहना २प्रमादाचरण-मादक वस्तु सेवन कर के नशे में मग्न रहना, गानतान, खेलकूद आदि पापकर्मों में लगाना और प्रमाद का सेवन करना । ३ हिंसा प्रदानहिंसा के साधन-हल, मूसल, काकू, छुरी, तलवार आदि दूसरों को देना । ४ पापकर्मोपदेश पाप के कार्य करने की प्रेरणा देना।
अनर्थदंड-व्रत के पांच अतिचार-१ जो हल, मूसल, गाड़ा, धनुष्य, घट्टा आदि अधिकरण-जीव-घातक शस्त्र, संयुक्त नहीं हो कर वियुक्त हों, जिनके हिस्से अलग-अलग रक्खे हों, उन्हें संयुक्त करके काम-लायक बनाना, जिससे उनका हिंसक उपयोग हो सके २ उपभोग-परिभोग अतिरिक्तता-भोगोपभोग के साधन बढ़ाना ३ अति वाचालतामौखर्य-बिना विचारे अंटसंट बोलना ४ कौत्कुच्य-भांड की तरह. नेत्र, मुंह आदि विकृत
हए।
४ भगवती सूत्र और त्रिर्षाष्ठशलोका पुरुषचरित्र के कर्मादानों के उल्लेख में क्रम में अन्तर है।
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