Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 478
________________ ककककककककककक गौतम स्वामी मृगापुत्र को देखने जाते हैं Fan saegersosphere F पापपुंज मृगापुत्र की पाप-कथा 'मृग' नगर के 'विजय' नरेश की 'मृगावती' रानी को उदर से जन्मा मृगापुत्र जन्म से ही अन्धा, बधिर, मूक, पंगु और अनेक प्रकार की व्याधियों का भाजन था । उसके न हाथ थे, न पाँव, कान- आँख और नाक भी नहीं थे । अंगोपांग की आकृति मात्र थी । रानी उस पुत्र का गुप्त रूप से भूमिघर में पालन-पोषण करती थी । ४६१ उस नगर में एक जन्मान्ध पुरुष रहता था । वह एक सूझते हुए मनुष्य की लकड़ी थाम कर उसके पीछे-पीछे चल कर भिक्षा माँग कर उदर पूर्ति करता था । Jain Education International श्रमण भगवान् महावीर स्वामी मृग नगर पधारे। विजय नरेश और नागरिकजन भगवान् की वन्दना करने एवं धर्मोपदेश सुनने के लिए चन्दनपादप उद्यान में जाने लगे। लोगों की हलचल एवं कोलाहल सुन कर अन्ध-मनुष्य ने अपने दण्डधर सूझते मनुष्य से कारण पूछा। उसने कहा- ' नगर के बाहर श्रमण भगवान् महावीर स्वामी पधारे हैं, ये सभी लाग भगवान् की वन्दना करने जा रहे हैं ।' यह सुन कर अन्धे ने कहा- " चलो अपन भी भगवान की वन्दना एवं पर्युपासना करने चलें ।' वे भी भगवान् के समवसरण में गये, वन्दना की और धर्मोपदेश सुना । गौतम स्वामी मृगपुत्र को देखने जाते हैं उस अन्ध पुरुष को गौतम स्वामी ने भी देखा । सभा विसर्जित होने के पश्चात् गौतम स्वामी ने भगवान् से पूछा ; -- 'भगवन् ! कोई ऐसा पुरुष भी है जो जन्मान्ध एवं जन्मान्धरूप है ?" - "हां, गौतम ! है ।" 'कहाँ है - भगवन् ! ऐसा जन्मान्ध पुरुष ?”, - गौतम ! इसी नगर के राजा का पुत्र जन्मान्धादि है ।" - " भगवन् ! यदि आपकी आज्ञा हो, तो मैं उस जन्मान्ध को देखना चाहता हूँ - " गौतम स्वामी ने इच्छा प्रदर्शित की - " जैसा तुम्हें सुख हो वैसा करो " - भगवान् ने अनुमति दी । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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