Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 496
________________ भगवान् की शिष्य-सम्पदा - 02 /09 v••••••••••••••••••••••••••• ••• • • • • • • • • श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के समय मोक्ष प्राप्त मुनियों की दो प्रकार की भूमिका रही--युगान्तकृत भूमिका और पर्यायान्तकृत भूमिका । युगान्तकृत भूमिका तीसरे पुरुष तक रही । प्रथम भगवान् मोक्ष पधारे, उनके बाद उनके गौतमादि शिष्य और तीसरे प्रशिष्य जम्बू स्वामी । इसके बाद मुक्ति पाना बंद हो गया । __पर्यायान्तकृत भूमिका-भगवान् को केवलज्ञान होने के चार वर्ष पश्चात् उनके शिष्यों का मुक्ति पाना प्रारम्भ हुआ, जो जम्बूस्वामी पर्यन्त चलता रहा। श्रमण भगवान् महावीर स्वामी तीस वर्ष तक गृहवासी रहे, बारह वर्ष से अधिक छद्मम्य साधु अवस्था में और कुछ कम तीस वर्ष केवल ज्ञानी तार्थ कर रहे । इस प्रकार श्रमण-पर्याय कुल वयालीस वर्ष पाल कर--कुल आयु बहत्तर वर्ष का पूर्ण कर--एकाकी सिद्ध बृद्ध मुक्त हुए। ॥ तित्थयरा मे पसियंतु ।। ॥ तीर्थंकर चरित्र सम्पूर्ण ॥ Ls Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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