Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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कणिक का चिन्तन और देव आराधन कन्यकालकानवालाppropra
४०३ नालायक बननवनाकाका
कन्नमयकदय
के साथ पूरी सेनाका सेनापति बन कर लड़ रहा था। उसके सम्पन्न महाराजा चेटक नरेश थ । भयंकर संग्राम हुआ। हाथी-घोड़े और मानव-शरीरों से रक्त के फव्वारे उछल रहे धे : रक्त को नहरें वह रही थी । उपमें हाथियों के मृत शरीर टिले-टकरे के समान लग रहे थे। टूटे हुए रथों और मनुष्यों के शवों से भू भाग पट गया था। इस युद्ध में कालकुमार की सेना छित्र-भिन्न हो गई । अपनी सेना की दुर्दशा देख कर कालकुमार अत्यंत कपिन हगा और वह चेटक नरेश को मारने के लिए उन्हें खोजता हुआ उनके निकट आ रहा था । माक्षात् काल के समान काल कुमार को अपनी ओर आता हुआ देख कर चेटक गरेज ने सोचा---' इस प्रचण्ड महाबली कालकुमार का निग्रह किसी से नहीं हुआ। इसीसे यह जो वित है और मुझे मारने के लिये आ रहा है।' चेटक नरेश को क्रोध चढ़ आया। उन्होंने धनुष पर दिव्य अस्त्र रखा और कान तक खिच कर मारा, जिससे कालकुमार का हृदय भिद गया और वह मृत्यु को प्राप्त हो गया । संध्या का समय हो गया था। युद्ध रुका । *णिक की सेना अपनी क्षति और सेनापति के मरणा से शोक-संतप्त होती हई गिविर की ओर लौट गई। नैशाली की सेना हर्षोन्मत्त हो जय-जयकार करती हुई लौटी।
दूसरे दिन कणिक की सेना का सेनापति काल का छोटा भाई महाकालकुमार हुआ। युद्ध छिड़ा और वही परिणाम निकला। महाकाल स्वयं भी चेटक नरेश द्वारा मारा गया और सैनिकों और वाहनों का विनाश हुआ। इस प्रकार दस दिन में दसों भाई सेनापति हुए और मारे गये । अब कूणिक अकेला रह गया था।
कूणिक का चिंतन और देव आराधन
कणिक युद्ध का अकल्पित भयानक परिणाम देख कर हताश हो गया। उसने सोचा-- धिक्कार है मुझे जो चेटक नरेश की इ.क्ति एवं प्रभाव जाने बिना ही मैंने युद्ध छेड़ दिया और दे । के समान अपने दसों भाइयों को मरवा कर अब अकेला रह गया है। अब जो युद्ध करता हूँ तो एक ही दिन में में भी मारा जाऊँगा । इसलिये अब न तो यद्ध करना उचित है और न इस दशा में निर्लज हो कर लौट जाना ही उचित है । चेटक के के पास दिव्य अस्त्र है । उसे कोई नहीं जीत सकता। देव-प्रभाव देव-प्रभाव से ही नाट हाता है । इसलिये मुझे भी अब किमी देव की आराधना कर के दिव्य अस्त्र प्राप्त करना होगा । उसने तेले का तप किया और एकान्त स्थान में देश की आराधना करने लगा।
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