Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तीर्थंकर चरित्र भाग ३
पोषण करना उचित नहीं होता ।"
इस प्रकार के कटु वचन सुन कर सेचनक ने अपने स्वामी वेहल्ल और वेहास को बलपूर्वक अपने पर से नीचे उतार दिया और स्वयं अग्नि-भरित खाई में गिर कर जल मरा । वह प्रथम नरक में उत्पन्न हुआ । अपने प्रिय गजेन्द्र का मरण, उसकी बुद्धिमत्ता एवं स्वामी भक्ति तथा अपने अज्ञान एवं अविश्वास पर दोनों बन्धु पश्चात्ताप पूर्वक स्वयं को धिक्कारने लगे । गजराज वियोग से वे अत्यन्त हताश हो गए थे । इस हस्ती के बल पर तो वे युद्ध में भी अजेय रहे थे। अब वे अपने पूज्य मातामह महाराजा चेटक के किस प्रकार सहायक बन सकेंगे ? अब तो जीवन ही व्यर्थ है । यदि जीवन शेष है, तो भगवान् महावीर प्रभु का शिष्यत्व अंगीकार कर तप-संयम युक्त जीना ही श्रेयस्कर है, अन्यथा मरना ही शेष रहेगा ।"
वे भाग्यशाली थे । जिनशासन रसिक देवी ने उन्हें भगवान् के समवसरण में पहुँचा दिया । दोनों बन्धुओं ने भगवान् से निर्ग्रय प्रव्रज्या ली और तप-संयम की विशुद्ध आराधना कर के अनुत्तर विमान में उत्पन्न हुए। वहाँ का आयु पूर्ण कर महाविदेह में मनुष्य भव पाएँगे और चारित्र पाल कर मुक्त हो जावेंगे ।
कुलवा लुक के निमित्त से वैशाली का भंग
वैशाली का दुर्ग ( किला ) कूणिक से टूट नहीं रहा था । वह हताश हो गया । उसने जिस गजराज और हार के लिए युद्ध किया और अपने भाइयों तथा विशाल सेना का नाश करवाया था, वे भी नहीं मिले और वैशाली भी सुरक्षित रह सके, यह उसके लिये अपमान जनक लग रहा था । उसने प्रतिज्ञा की - "यदि वैशाली का भंग कर के इसकी भूमि को मैं गधों द्वारा खिचे हुए हल से नहीं खुदवा लूं तो भृगुपात अथवा अग्नि में जल कर आत्महत्या कर लूँगा ।" इस प्रतिज्ञा से सभी चिंतित थे । इतने में भाग्य योग से 'कुलव लुक' मुनि पर रुष्ट हुई देवी ने कहा- " यदि मागधिका वेश्या कुलवालुक मुनि को मोहित कर के अपने वश में कर ले, तो उसके योग से तु वैशाली प्राप्त कर सकेगा ।" कूणिक के मन की निराशा मिटी । मागधिका वेश्या चम्पा में ही रहती थी । कृणिक चम्पा आया और मागधिका को बुला कर उसे अपना प्रयोजन समझाया । मागधिका ने प्रसन्नता पूर्वक कार्य करना स्वीकार किया। राजा ने उसे बहुत सा धन दिया । मागधिका बुद्धित था। मनुष्यों को चतुराई से ठगने की कला में वह प्रवीण थी । उसने श्राविका
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