Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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२४३ ककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककककर
पितृ-मिलन और महामन्त्री पद
गोमय में खूची हुई मुद्रिका ऊपर आती गई। कुआँ पूरा भर जाने पर मुद्रिका किनारे आ पहुँची, जिसे अभयकुमार ने हाथ बढ़ा कर निकाल लिया ।
पितृ-मिलन और महामन्त्री पद
अधिकारी ने महाराजा श्रेणिक से निवेदन किया--"महाराज ! एक विदेशी नवयुवक ने निर्जल कूप के किनारे खड़े रह कर मुद्रिका निकाल ली है ।" उसने मुद्रिका निकालने की विधि भी बतला दी। राजा ने कुमार को समक्ष उपस्थित करने की आज्ञा दी । अभय को देखते ही नरेश की प्रीति बढ़ी, आत्मीयता उत्पन्न हुई। उन्होंने उसे बाँहों में भर लिया, फिर पूछा;--
"वत्स ! तुम कहाँ के निवासी हो?" --"महाराज ! मैं वेणातट नगर से आया हूँ।"
--" वेणातट में तो सुभद्र सेठ भी रहते हैं और उनके नन्दा नाम की पुत्री है । क्या वे सब स्वस्थ एवं प्रसन्न हैं ?" राजा को वेणातट का नाम सुनते ही अपनी प्रिया नन्दा का स्मरण हो आया।
--"हां, स्वामिन् ! वे सब स्वस्थ एवम् प्रसन्न हैं"--अभय ने कहा ।
"सुभद्र सेठ की पुत्री के कोई सन्तान भी है क्या"--श्रेणिक ने नन्दा की गर्भावस्था का परिणाम जानने के लिए पूछा।
___ “नन्दा के एक पुत्र है, जिसका नाम अभयकुमार है"--अभय ने सस्मित उत्तर दिया।
--"तुमने उस पुत्र को देखा है ? वह कैसा दिखाई देता है ? उस में क्या क्या विशेषताएँ हैं"--नरेश ने पूछा ।
--"पूज्यवर ! वह पितृवात्सल्य से वंचित अभय, श्री चरणों में प्रगाम करता है''--कह कर अभयकुमार पिता के चरणों में झुक गया ।
राजा के हर्ष का पार नहीं रहा। उसने अभय को आलिंगनबद्ध कर लिया। कुछ समय पिता-पुत्र आलिंगनबद्ध रहे, फिर राजा ने पुत्र का मस्तक चूमा और उत्संग में बिठाया।
"पुत्र ! तुम्हारी माता स्वस्थ है"-पत्नी का कुशल-क्षेम जानने के लिए नरेश ने पूछा।
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