Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तीर्थंकर चरित्र - भाग ३
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संगीत से बड़े-बड़े
" कौशाम्बी नरेश उदयन गन्धर्व विद्या में प्रवीण हैं । वे अपने गजराजों को मोहित कर के वशीभूत कर लेते हैं । उनका संगीत सुन कर गजराज रसमग्न हो जाते हैं । वे गीत के उपाय से हाथियों को पकड़ कर बन्धन में डाल देते हैं । उसी प्रकार हम भी उन्हें पकड़ कर ला सकते हैं । इसके लिए हमें काष्ठ का हाथी बना कर वन में रखना होगा और उसमें इस जिस से वह चल-फिर और उठ बैठ सके । इस काष्ठ- गज के रहें और वे उसे चलाते बिठाते रहें। ऐसे उत्कृष्ट गजराज की उदयन x अवश्य आएँगे और हम उन्हें बन्दी बना कर ले आवेंगे ।"
उत्तम गजेन्द्र जैसा ही एक प्रकार के यन्त्र रखने होंगे कि मध्य में कुछ सशस्त्र सैनिक कीर्ति कथा सुन कर वत्सराज
वन में योग्य स्थान पर रखवाया गया और सभी प्रकार के उदयन तक समाचार पहुँचाये । वे भी गजराज को देख कर अंगरक्षकों और सामन्तों को गजराज से दूर रखे और स्वयं रिझाने लगे । जब उन्होंने देखा कि गजराज राग-रत हो चढ़ कर उसकी पीठ पर कूदे । उसी समय गजराज के निःशस्त्र उदयन को पकड़ लिया। उन्हें उज्जयिनी ले किये। प्रद्योत ने कहा
उत्तम कलाकारों से सर्वोत्तम गजराज बनवाया गया, जो अति आकर्षक था । उसे रचना कर के उन्होंने अपने
।
षड्यन्त्र की मुग्ध हो गये संगीत गा कर गजराज को स्तब्ध खड़ा है, तो वृक्ष पर भीतर रहे हुए सशस्त्र सैनिकों ने आये और प्रद्योत के सम्मुख खड़े
कर
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" मेरी पुत्री वासवदत्ता जो एक आँख से ही देखती है, दूसरी आँख कानी है, उसे तुम गन्धर्व कला सिखाओ । जब तुम उसे निष्णात कर दोगे, तो तुम्हें मुक्त कर दिया जायगा और यदि मेरी बात नहीं मानोगे, तो बन्धन में डाल दिये जाओगे ।"
उदयन ने वासवदत्ता को सिखाना स्वीकार कर लिया। वासवदत्ता के मन में उदयन के प्रति घृणा उत्पन्न करने के लिये कहा गया कि -" उदयन गन्धर्व-विद्या में परिपूर्ण है, परन्तु वह कोढ़ी और कुरूप है। उससे पर्दे में दूर रह कर ही संगीत सीखना है ।" संगीत - शिक्षा प्रारम्भ हुई। दोनों में से एक भी एक-दूसरे को नहीं देखते थे । एक बार कुमारी अपने शिक्षक के विषय में विचार कर रही थी । इस अन्यमनस्कता के कारण शिक्षण के प्रति उपेक्षा हुई, इससे चिढ़ कर उदयन ने कहा- " अरी एकाक्षी ! तू एकाग्रता
क्यों नहीं सुनती ?"
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★ यह सती मृगावती ( प्रद्योत की साली ) का पुत्र ( भानेज ) था । जब कौशाम्बी पर बेरा डाला था तब यह बालक था। अब यौवन वय में था ।
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