Book Title: Tirthankar Charitra Part 3
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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दरिद्र सेडुक दर्दुर देव हुआ
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दरिद्र सेडुक दर्दर देव हुआ
कौशाम्बी नगरी में शतानिक राजा + राज्य करता था । वहाँ 'सेढुक' नाम का एक दरिद्र ब्राह्मण रहता था। वह मूर्ख था । मूर्खता और दरिद्रता के कारण उसका जीवन दुःखपूर्वक व्यतीत हो रहा था । उसकी पत्नी गर्भवती हुई। जहाँ पेट भरना भी कठिन हो, वहाँ प्रसूति के लिये विशेष सामग्री का प्रबन्ध कैसे हो ? पत्नी ने सुझाया -- " तुम राजा के पास जा कर याचना करो। राजा ही हमारी सहायता कर सकेगा ।" सेडुक राजा के पास पत्रपुष्पादि ले कर जाने लगा । वह राजा को पुष्पादि भेंट कर के प्रणाम करता और लौट आता ।
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चम्पा नगरी के नरेश ने अचानक कौशाम्बी पर चढ़ाई कर दी । शतानिक युद्ध के लिए तत्पर नहीं था । उसने कौशाम्बी के नगरद्वार बन्द करवा दिये । चम्पाधिपति नगरी को घेर कर बैठ गए । यह घेरा लम्बे काल तक चालू नहीं रह सका। सैनिकों में शिथिलता आने लगी । रोगादि कारण ने भी शक्ति क्षीण कर दी । कुछ मर भी गए । चुपके-चुपके कई सैनिक खिसक गए । सम्पापति को घेरा महँगा पड़ा । वे चुपचाप घरा उठा कर चल दिये । सेडुक ब्राह्मण ने देखा -- शत्रुसेना लौट रही है । वह राजा के समीप आया और बोला-
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'आपका शत्रु घेरा उठा कर जा रहा है। यदि आप अभी पीछे से उस पर आक्रमण कर देंगे, तो विजयश्री प्राप्त हो जायगी ।"
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सेडुक के शुभोदय की वेला थी । उसकी सूचना से शतानिक ने लाभ उठाया । भागते हुए शत्रु पर उसका आक्रमण सफल रहा । चम्पा की सेना छिन्नभिन्न हो गई । हाथीघोड़े धन-माल शतानिक के हाथ आये । विजयोत्सव मनाते समय कौशाम्बी पति ने सेडुक को इच्छित माँगने का कहा । सेढक, पत्नी को पूछने के लिए घर आया । ब्राह्मणी प्रसन्न हुई । उसे अपनी दुर्दशा का अंत और भाग्योदय होता दिखाई दिया। उसने सोचा -- 'यदि राजा से जागीर में कोई गाँव ले लिया, तो ब्राह्मण मदोन्मत्त हो कर मुझ पर सौत भी ला सकता है । नहीं, जीवन सुखपूर्वक बीते और सौत का भय भी नहीं रहे, ऐसी ही माँग
+ चवन्न महापुरुस चरियं में ग्राम आदि के नाम में अन्तर है । वहाँ वसंतपुर नगर, अजातशत्रु राजा, यज्ञदत्त ब्राह्मण लिखा है ।
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