________________
ककक ककककककककककककक
दरिद्र सेडुक दर्दुर देव हुआ
®»Fest hears eps [5
दरिद्र सेडुक दर्दर देव हुआ
कौशाम्बी नगरी में शतानिक राजा + राज्य करता था । वहाँ 'सेढुक' नाम का एक दरिद्र ब्राह्मण रहता था। वह मूर्ख था । मूर्खता और दरिद्रता के कारण उसका जीवन दुःखपूर्वक व्यतीत हो रहा था । उसकी पत्नी गर्भवती हुई। जहाँ पेट भरना भी कठिन हो, वहाँ प्रसूति के लिये विशेष सामग्री का प्रबन्ध कैसे हो ? पत्नी ने सुझाया -- " तुम राजा के पास जा कर याचना करो। राजा ही हमारी सहायता कर सकेगा ।" सेडुक राजा के पास पत्रपुष्पादि ले कर जाने लगा । वह राजा को पुष्पादि भेंट कर के प्रणाम करता और लौट आता ।
--
चम्पा नगरी के नरेश ने अचानक कौशाम्बी पर चढ़ाई कर दी । शतानिक युद्ध के लिए तत्पर नहीं था । उसने कौशाम्बी के नगरद्वार बन्द करवा दिये । चम्पाधिपति नगरी को घेर कर बैठ गए । यह घेरा लम्बे काल तक चालू नहीं रह सका। सैनिकों में शिथिलता आने लगी । रोगादि कारण ने भी शक्ति क्षीण कर दी । कुछ मर भी गए । चुपके-चुपके कई सैनिक खिसक गए । सम्पापति को घेरा महँगा पड़ा । वे चुपचाप घरा उठा कर चल दिये । सेडुक ब्राह्मण ने देखा -- शत्रुसेना लौट रही है । वह राजा के समीप आया और बोला-
३४३
"
'आपका शत्रु घेरा उठा कर जा रहा है। यदि आप अभी पीछे से उस पर आक्रमण कर देंगे, तो विजयश्री प्राप्त हो जायगी ।"
သားသားမှ
Jain Education International
सेडुक के शुभोदय की वेला थी । उसकी सूचना से शतानिक ने लाभ उठाया । भागते हुए शत्रु पर उसका आक्रमण सफल रहा । चम्पा की सेना छिन्नभिन्न हो गई । हाथीघोड़े धन-माल शतानिक के हाथ आये । विजयोत्सव मनाते समय कौशाम्बी पति ने सेडुक को इच्छित माँगने का कहा । सेढक, पत्नी को पूछने के लिए घर आया । ब्राह्मणी प्रसन्न हुई । उसे अपनी दुर्दशा का अंत और भाग्योदय होता दिखाई दिया। उसने सोचा -- 'यदि राजा से जागीर में कोई गाँव ले लिया, तो ब्राह्मण मदोन्मत्त हो कर मुझ पर सौत भी ला सकता है । नहीं, जीवन सुखपूर्वक बीते और सौत का भय भी नहीं रहे, ऐसी ही माँग
+ चवन्न महापुरुस चरियं में ग्राम आदि के नाम में अन्तर है । वहाँ वसंतपुर नगर, अजातशत्रु राजा, यज्ञदत्त ब्राह्मण लिखा है ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org